सुरक्षित सड़कों के लिए कैसे भारी जुर्माना भी है छोटी कीमत

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नई दिल्ली

मोटर वीइकल्स ऐक्ट 2019 के लागू होते ही ट्रैफिक जुर्माना काफी बढ़ गया है। सरकार का मकसद इसके जरिए सड़क दुर्घटनाओं को रोककर लोगों की जानें बचाना है। हालांकि कुछ राज्य इसके खिलाफ हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए भारी जुर्माने के फैसले के पीछे की तस्वीर क्या है। आंकड़ों को देखें तो 2017 में भारत में 70 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं स्पीडिंग के कारण हुईं।

वहीं, इसी साल करीब 8,000 लोगों को जानें चली गईं क्योंकि गाड़ी का ड्राइवर नशे में था या मोबाइल पर बात कर रहा था। अब नए कानून में ऐसे उल्लंघनों के लिए फाइन्स कई गुना बढ़ गए हैं लेकिन स्पीडिंग और मोबाइल फोन पर बात करना तत्काल जुर्माना दिए जाने वाले अपराध हैं जिसके लिए राज्य अपने फाइन सेट कर सकते हैं और कई राज्यों ने इसे संशोधित भी कर दिया है।

अब गए समस्या की जड़ में
पूर्व में उठाए गए कदमों में गलत ड्राइवरों की बजाय सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों पर फोकस था। ऐसे में पिछले साल हमने कार या दो पहिया बायर्स के लिए तीन या 5 साल की इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना अनिवार्य कर दिया। हमारे पास राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर 100 किमी पर एक ट्रॉमा सेंटर बनाने की स्कीम है। हालांकि नए कानून में ट्रैफिक उल्लंघन पर भारी जुर्माने लादकर समस्या की जड़ यानी बैड ड्राइवरों पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई है।

डर तो दिख रहा है
सैकड़ों का फाइन हजारों में हुआ तो इसका डर भी अच्छे काम के रूप में दिखने लगा है। बिना बीमा के गाड़ी चलाने पर फाइन चार गुना तक बढ़ा तो अब इंश्योरेंस खरीदने वालों की भीड़ लग रही है। पॉलिसी बाजार डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक 1 सितंबर को नया कानून प्रभाव में आने के बाद पहले हफ्ते में ही इंश्योरेंस पॉलिसीज की सेल दो पहिया के लिए सात गुना और चार पहिया वाहनों के लिए तीन गुना बढ़ी है। हेल्मेट की दुकानों पर भी भीड़ काफी दिख रही है। सड़कों पर लोग अब ट्रैफिक नियमों का पालन करने लगे हैं।

सरकार की भी सुनें
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जुर्माना बढ़ाने का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों से कोई जुर्माना नहीं वसूलना चाहते हैं, सड़क सफर को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। रोड हादसों के मामले में भारत का रेकॉर्ड विश्व में काफी खराब है। अगर लोग परिवहन नियमों का पालन करेंगे तो उन्हें कोई रकम देने की जरूरत नहीं है।’ आपको बता दें कि भारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क हादसे होते हैं जिनमें लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है और अन्य तीन लाख अपंग हो जाते हैं। ऐसे में देखा जाए तो इतनी बड़ी संख्या में जानें बचाने के लिए फाइन या फाइन को देख नियमों का पालन करना एक छोटी कीमत है।

2 लाख का मोटा जुर्माना
दिल्ली में एक ट्रक चालक और मालिक पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगा है। हरियाणा में पंजीकृत नंबर के ट्रक का चालान बुधवार शाम परिवहन विभाग ने जीटी करनाल रोड पर किया। ट्रक पर कुल 2,00,005 रुपये का जुर्माना लगाया गया, जो क्षमता से अधिक भार लादने, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण परीक्षण प्रमाणपत्र, पंजीकरण प्रमापत्र, फिटनेस परीक्षा, बीमा के दस्तावेज नहीं होने, परमिट नियम का उल्लंघन करने और बिना सीट बेल्ट गाड़ी चलाने की वजह से किया गया। एक सितंबर से लागू नए कानून के बाद से दिल्ली में किसी वाहन पर जुर्माने की यह सबसे बड़ी राशि है। इससे पहले राजस्थान में पंजीकृत ट्रक पर क्षमता से अधिक माल लादने सहित अन्य यातायात नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 1,41,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

राजनीति भी कम नहीं
बीजेपी शासित गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक राज्यों की सरकारों ने संशोधित मोटर वाहन अधिनियम में जुर्माने की दरें अपने—अपने यहां आधी कर दी हैं, जबकि महाराष्ट्र और गोवा में इसके क्रियान्वयन को टाल दिया गया है। वहीं, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों द्वारा चालान के नए नियमों को न मानना यह दर्शाता है कि ये नियम सच में कितने जनविरोधी एवं दमनकारी है। तभी तो उन राज्यों की इतनी हिम्मत हुई है कि वे ‘सख्त फैसले’ लेने वाले तथा कथित ‘निर्णायक नेतृत्व’ को चुनौती दे सके।