भिंड। मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य विभाग कितना संवेदनशील है, इसकी बानगी जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिली, जहां अस्पताल के स्टाफ ने एक बच्चे का पोस्टमार्टम करने के बाद उसके परिजनों से ही बच्चे के शव को पैक करवाया। दरअसल, मौ कस्बे के वार्ड चौदह निवासी मुन्ना राईन के बेटे नौ वर्षीय फैजान और सात साल का फरहान रविवार की शाम बेहट रोड स्थित दुकान से घर जाने के लिए निकले थे।
Humanity Sharmashar, after the child’s post-mortem in hospital
रास्ते मे बरुआ तालाब में दोनों भाई तालाब में नहाने लगे, बारिश की वजह से तालाब में पानी काफी बढ़ गया था, लिहाजा गहरे पानी में जाने की वजह से फरहान डूब गया, जबकि फैजान पानी में हाथ पैर चलाकर बचने की कोशिश करता रहा। रास्ते से निकल रहे एक शख्स की नजर फैजान पर पडी़ तो उसने तालाब में कूदकर फैजान को बाहर निकाला।
पानी से बाहर निकालने के बाद होश में आए फैजान ने बताया कि उसका छोटा भाई फरहान अभी पानी में ही है। ये सुनकर मौके पर मौजूद लोग फरहान को निकालने के लिए पानी में कूद गए। कुछ देर बाद फरहान को भी पानी से बाहर निकाल लिया गया। जिसके बाद आनन-फानन में दोनों भाइयों को मौ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद फरहान को मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद फरहान का पोस्टमार्टम किया गया। नियम अनुसार पोस्टमार्टम के बाद शव को कफन के साथ पॉलीथिन में पैक करके परिजनों को सौंपा जाता है, लेकिन अस्पताल के संवेदनहीन कर्मचारियों ने शव को पैक करने की बजाय फरहान के परिजनों को ही थमा दिया।
परिजनों से ही शव को पैक करवाया गया। संवेदनहीनता का ये नजारा देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चंबल जैसे इलाकों में सरकारी अस्पताल में इंसानों के साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया जाता है। लेकिन बड़ी बात ये है कि अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन को इसकी खबर होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है।