माले। मालदीव में मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने रविवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है। इसके साथ ही चीन की तरफ झुकाव रखनेवाले मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चुनाव हार गए हैं। मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भारत के लिए अच्छे संकेत दे रहे हैं क्योंकि इब्राहिम भारत के साथ मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं।
Ibrahim Mohamed becomes the new president of Maldives, good sign for India
न्यूज वेबसाइट मिहारु डॉट कॉम के मुताबिक, सोलिह को कुल 92 प्रतिशत में से 58.3 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। चुनाव पर नजर रखने वाले स्वतंत्र एजेंसी ट्रांसपेरेंसी मालदीव्स के मुताबिक, सोलिह ने निर्णायक अंतर से जीत हासिल की है। उधर, जीत के बाद सोलिह ने अपने पहले भाषण में कहा, ‘यह खुशी, उम्मीद और इतिहास का पल है।’ उन्होंने साथ ही सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की अपील की है।
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीत की घोषणा के साथ ही सोलिह की मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी का पीला झंडा लेकर विपक्ष समर्थक सड़कों पर उतर आए और खुशी का इजहार किया। नतीजे आने के बाद यामीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, सोलिह ने कहा, ‘मैं यामीन से कहना चाहूंगा कि वह लोगों की इच्छा का सम्मान करें और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण करें।’ उन्होंने साथ ही राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की भी अपील की है।
बता दें कि पहले विपक्ष को ऐसा डर था कि राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गयूम के पक्ष में चुनाव में गड़बड़ी हो सकती है। यामीन के पहले कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की गई है। बीते फरवरी में आपातकाल लागू कर, संविधान को निलंबित कर और यामीन के खिलाफ महाभियोग की कोशिश कर रहे सांसदों को रोकने के लिए सैनिकों को भेजकर मौजूदा राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया था। कई वरिष्ठ जजों और प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।
उधर, राष्ट्रपति यामीन को शायद अपने खिलाफ जनादेश की भनक पहले ही लग गई थी, यही वजह है कि विपक्ष के प्रचार अभियान मुख्यालय पर छापे मारे गए। इसके बाद इन आंशकाओं को बल मिला कि चीन समर्थक राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के पक्ष में चुनाव में हेराफेरी की जा सकती है।
ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं इब्राहिम
यामीन को मात देनेवाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं। सोलिह को संयुक्त विपक्ष का समर्थन हासिल है, जो यामीन को सत्ता से बेदखल करना चाहता था। आपको बता दें कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अब निर्वासित जीवन बिताना पड़ रहा है। नशीद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह चुनाव के नतीजों को खारिज करे।
चुनाव प्रक्रिया पर भारत की नजर
चुनावी प्रक्रिया पर भारत और चीन ने करीब से निगाह रखी हुई थी। इस बीच, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने चुनाव के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष नहीं होने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। यामीन ने राजधानी माले में मतदान केंद्र के खुलने के कुछ वक्त बाद ही मतदान किया। मतदान शुरू होने से पहले पुलिस ने विपक्षी मालदिवियन डेमोक्रैटिक पार्टी (एमडीपी) के प्रचार मुख्यालय पर छापा मारा और ‘अवैध गतिविधि’ रोकने की कोशिश के नाम पर इमारत की कई घंटे तक तलाशी ली। इस सिलसिले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया।