शाह की रणनीति हुई कामयाब तो जेडीयू को 9 सीटों पर लड़ना होगा चुनाव!

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पटना। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के बाद शुक्रवार को यहां से रवाना हो गए। इस दौरे के दौरान शाह ने जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश भरा, वहीं नीतीश के साथ मिलकर बिहार में लोकसभा की 40 की 40 सीटों पर जीत का दावा भी ठोका। हालांकि अभी तक दोनों दल की ओर से कोई भी नेता सीट शेयरिंग को लेकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर शाह की रणनीति कामयाब रही तो जेडीयू 2019 लोकसभा चुनाव में 9 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
If Shah’s strategy is successful then JDU will have to fight in 9 seats.
दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 22 सीटें मिली थी। शाह की रणनीति है कि 2019 चुनाव में बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते। इधर, जेडीयू सीट शेयरिंग में 2009 वाला फॉमूर्ला दोहराने की मांग कर रही है। गौरतलब है कि 2009 में जेडीयू को 20 और बीजेपी को 12 सीटें मिली थी।

बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग चुनाव लड़े थे। बीजेपी 29 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, वहीं सात सीटों पर राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी और चार सीट पर उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी चुनाव लड़ी थी। अगर जेडीयू अपनी मांग पर अड़ी रही तो बीजेपी को अपनी सीटों में कटौती करनी पड़ेगी। क्योंकि जेडीयू की दलील है कि उसका गठबंधन बीजेपी के साथ है। बीजेपी को अपने अन्य सहयोगियों के लिए इंतजाम खुद करना होगा।

यानि की बीजेपी को सिर्फ 4 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा! दरअसल, 2009 में जेडीयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 15 सीटों पर बीजेपी। वहीं, दूसरी ओर 2014 का चुनाव बीजेपी ने रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के साथ मिलकर लड़ी थी। इसमें बीजेपी को 22 सीट, एलजेपी को 6 सीट और आरएलएसपी को 3 सीट पर जीत मिली। जीती हुई सीटों को छोड़ने के बाद केवल 9 सीट बचती है। ऐसे में जेडीयू के लिए 17 सीट छोड़ना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा फैसला हो सकता है।

ऐसे में अब सवाल उठते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में 22 सीट जीतने वाली बीजेपी सिर्फ 2 सीट जीतने वाली जेडीयू के लिए 17 सीट छोड़ेगी। शायद इसका जवाब होगा, नहीं! अगर, बीजेपी अपनी सीटिंग सांसदों के साथ 2019 लोकसभा चुनाव में मैदान में जाती है तो इस हालात में आरएलएसपी को 3, एलजेपी को 6 और बीजेपी को 22 सीटें मिलेंगी। इसके बाद बीजेपी नीतीश कुमार को तसल्ली देने के लिए बची हुई सातों सीटें नीतीश के लिए छोड़ दे। अगर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार के हिस्से में 9 सीटें आएंगी।