जिन्ना का सपना पूरा करेंगे इमरान, पाकिस्तान को बनाएंगे मुस्लिम देश!

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इस्लामाबाद। जल्द पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर बैठने वाले इमरान खान ने गुरुवार को जीत के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि वह पाकिस्तान को एक ऐसा देश बनाना चाहते हैं जिसका सपना उनके कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने देखा था। लेकिन सवाल यह है कि जिन्ना कैसा पाकिस्तान चाहते थे और क्या इमरान वाकई उसी विचारधारा को मानते हैं जिसे लेकर जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया था।
Imran will fulfill Jinnah’s dream, Pakistan will make Muslim country!
भारत और पाकिस्तान में यह धारणा आम है कि जिन्ना पाकिस्तान को मुस्लिमों का देश बनाना चाहते थे, जो इस्लामी कानून से चले। लेकिन 11 अगस्त 1947 को संविधान सभा को संबोधित करते हुए जिन्ना ने कहा था, ‘इस पाकिस्तान देश में आप अपने मंदिरों में जाने के लिए आजाद हैं, आप अपने मस्जिदों में या किसी भी प्रार्थना के स्थल पर जाने के लिए आजाद हैं। आप किसी भी धर्म, जाति के हों उसका पाकिस्तान देश से कोई लेना-देना नहीं है।’

सेना को सरकार से ऊपर नहीं मानते थे जिन्ना
पाकिस्तानी सरकार पर सेना का प्रभाव किसी से नहीं छिपा। लेकिन 14 जून 1948 को जिन्ना ने क्वेटा में आर्मी अफसरों से कहा था, ‘किसी भी काम करने का फैसला पाकिस्तान सरकार के पास है, जो गवर्नर जनरल हैं और इसलिए, आपके पास जो भी आदेश या निर्देश आएंगे वह कार्यकारी प्रमुख (गवर्नर जनरल) की मंजूरी के बिना नहीं आ सकते।’

इमरान खान की विचारधारा क्या है?
इमरान खान की छवि कट्टरपंथी इस्लामी नेता की बन गई है। इमरान ने एक बयान में कहा था, ‘मैं ईशनिंदा कानून का पूरी तरह समर्थन करता हूं और इसका बचाव करूंगा।’ बता दें कि यह कानून पाकिस्तान में विवादों में घिरा हुआ है।

सेना को लेकर इमरान की राय?
सेना को लेकर इमरान ने बयान दिया था, ‘मुझे लगता है कि एक लोकतांत्रिक सरकार नैतिक अधिकार से नियम बनाती है और यदि आपके पास नैतिक अधिकार नहीं है, तो जिनके पास भौतिक अधिकार हैं वे दबाव बनाते हैं।’ इमरान को सेना का समर्थक और पसंदीदा भी बताया जाता है।  इस बीच, केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने पाकिस्तान की नई सरकार पर कहा है, ‘मुझे कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा क्योंकि अभी तक भारत जिन मुद्दों को लेकर चिंतित है उसमें उनके द्वारा आतंक को बढ़ावा देना शामिल है। सेना ही इस पॉलिसी का फैसला लेती आई है और अब भी वही लेगी।’