पटना: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव और विधान परिषद में विपक्ष की नेता राबड़ी देवी के लिए अच्छी खबर नहीं है. आईआरसीटीसी मामले में रेलवे ने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी और वर्तमान में रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य बी. के. अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा की अनुमति मिल जाने से इस मामले में तीन महीने पूर्व दायर चार्ज शीट पर अब कोर्ट संज्ञान ले सकता हैं.
In case of IRCTC, the case against the officials will be lit, stunning and Rabri Devi will be difficult
सीबीआई ने इस मामले में इस साल 14 अप्रैल को आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें राजद अध्यक्ष लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव शामिल हैं. वहीं अग्रवाल पर आईआरसीटीसी के महाप्रबंधक रहते हुए (जब रेलवे के होटेल को निजी हाथों को दिया जा रहा था) नियमों में हेरफेर करने का आरोप है. ये घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री कार्यकाल में हुआ था.
लेकिन ये उजागर पिछले साल उस समय हुआ जब पटना में एक निमार्णाधीन मॉल की मिट्टी पटना जू को देने का मामला प्रकाश में आया. बाद में पता चला ये मॉल की जमीन लालू यादव और उनके परिवार के लोगों ने उसी व्यक्ति और उनकी कम्पनी से ली है, जिन्हें रेलवे के होटल रांची और पुरी में दिये गये थे. उनके खिलाफ मुकदमा चलाने में विलम्ब के कारण बिहार के सत्ता में सहयोगी जनता दल यूनाइटेड और भाजपा के रिश्तों में खटास भी आ गया था.
जनता दल यूनाइटेड का आरोप था कि अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने में विलम्ब लालू यादव और खासकर तेजस्वी यादव को बचाने के लिए जानबूझकर किया जा रहा है. हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उस समय भी दावा किया था कि शुक्रवार को दिल्ली में इस मामले की सुनवाई के पूर्व ये अनुमति मिल जायेगी. जानकारों का मानना है कि चूंकि अधिकांश धारा गैर जमानती है और इस मामले में अगर कोर्ट ने संज्ञान लेने के साथ तेजस्वी यादव और उनकी मां राबड़ी देवी जमानत नहीं दी, तब इन्हें जेल जाना पड़ सकता है. हालांकि, तेजस्वी यादव ने इस मामले में अपने आप को हमेशा निर्दोष बताया है और दावा किया है कि उन्हें साजिÞशकर्ता के रूप में आरोपी बनाया गया लेकिन वह जब 15 साल के थे, तब टेंडर से लेकर उन्हें होटल दिया गया है.