12वीं में टॉप करने वाली पायल की शादी के बाद छूटी पढ़ाई फिर भी नहीं मानी हार, अब हासिल करेंगी दोहरा स्वर्ण पदक

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धार। विषम परिस्थितियों में भी प्रतिभा कभी दब नहीं सकती। यह बात धार जिले के तोरनोद गांव की बेटी पायल बोरदिया ने सिद्ध कर दिखाई है। दरअसल कक्षा 10वीं और 12वीं में केंद्रीय विद्यालय में टॉपर रहने वाली पायल ग्रामीण परिवेश से होने के कारण अपनी पढ़ाई आगे जारी नहीं रख पाई थी।
In the 12th, top-notch drunk studying after the marriage of Piyal did not accept defeat, now will get double gold medal
बीएससी प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया, लेकिन शादी हो जाने के बाद परीक्षा नहीं दे पाई। पढ़ाई का जुनून था इसलिए मां बनने के बावजूद वह मुख्य धारा से जुड़ी और अब देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में दोहरा स्वर्ण पदक हासिल करने जा रही है। छह जनवरी को दीक्षांत समारोह में उन्हें स्वर्ण पदक से नवाजा जाएगा।

केंद्रीय विद्यालय की प्रतिभावान इस छात्रा की बचपन में ही सगाई हो गई थी। जब उसने 2011 में केंद्रीय विद्यालय से 12वीं में टॉप किया और धार में बीएससी में एडमिशन लिया तब फुलेड़ा गांव में शादी कर दी गई। ऐसे में वह बीएससी का फॉर्म भरने के बावजूद आगे नहीं पढ़ पाई। इस दौरान भी उसने हार नहीं मानी और बीए की प्राइवेट परीक्षा दी एवं उसमें भी अव्वल रही।

इस बीच उसने एक बेटी को भी जन्म दिया। फिलहाल मायके में रह रही पायल ने बच्ची को संभालने के साथ बीए प्राइवेट करने के बाद 2016 में एमए भूगोल से करने की ठानी एवं नियमित कॉलेज जाना शुरू कि या। लगातार दो साल मेहनत का आज उपहार यह मिला है कि वह दोहरा स्वर्ण पदक प्राप्त करने जा रही है। अब आगे पायल का इरादा पीएससी की तैयारी करने का है।

विश्वविद्यालय में एमए में सर्वाधिक अंक
पायल ने बताया कि छह जनवरी को दीक्षांत समारोह में उसे दो पदक मिलेंगे। एक पदक पूरी यूनिवर्सिटी में एमए की परीक्षा में टॉपर आने, जबकि दूसरा पदक एमए भूगोल में विश्वविद्यालय में टॉपर आने पर दिया जा रहा है। एमए भूगोल की परीक्षा उन्होंने 84.42 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण की थी। पायल को रवींद्रनाथ टैगोर जन्म शताब्दी समारोह स्वर्ण पदक तथा डॉ. पुष्पा अग्निहोत्री स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जा रहा है। पिता हरीश बोरदिया किसान हैं।