कर्नाटक चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत, कांग्रेस का वोट प्रतिशत तो बढ़ा फिर भी आधी ही सीटें मिलीं

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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है। 222 सीटों के रुझानों में भाजपा ने बड़ी बढ़त बनाई है और कांग्रेस करीब आधी सीटों पर ही सिमट रही है। भाजपा 111, कांग्रेस 69, जेडीएस 40 व अन्य दो सीट पर आगे है। इस बीच, बेंगलूरू और दिल्ली में भाजपा कार्यालय में जश्न मनाया जा रहा है। इधर, कर्नाटक चुनाव के नतीजे से सेंसेक्स में 400 अंक से ज्यादा का उछाल आया है। दक्षिण में भाजपा की संभावित जीत से 2019 में मोदी की राह आसान हो सकती है। यानि यह मानना पड़ेगा कि देश में मोदी की लहर बरकरार है। वहीं, कांग्रेस की हार से राहुल गांधी के नेतृत्व को फिर से झटका लग सकता है।
In the Karnataka elections, the BJP got a clear majority, Congress’s vote percentage increased even though it got halfway
इन वजहों से भाजपा ने कांग्रेस पर बढ़त बनाई
इस बार येदियुरप्पा की वापसी हुई, पिछली बार की तरह वोट नहीं कटे
कर्नाटक में भाजपा ने जब पहली बार अपने बूते सरकार बनाई थी तो 2008 में कमान येदियुरप्पा को सौंपी थी। लेकिन बाद में खनन घोटालों में आरोपों के चलते येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बाद में पार्टी से नाराज होकर येदियुरप्पा ने दूसरी पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बना ली और 2013 का चुनाव अलग लड़ा।

2013 के चुनाव में भाजपा के हाथ से सत्ता निकल गई। येदियुरप्पा की पार्टी को 6 सीटें मिलीं लेकिन 9.8% वोट मिले। माना गया कि इसी 9.8% वोट शेयर ने भाजपा का रास्ता रोक दिया। इस बार ऐसा नहीं था। पार्टी में वापसी कर चुके येदियुरप्पा ही राज्य में पार्टी का चेहरा और सीएम कैंडिडेट थे। इससे पिछली बार की तरह भाजपा के वोट नहीं कटे और वोटर लामबंद हो गए।

सिद्धारमैया का लिंगायत कार्ड उलटा पड़ा, कांग्रेस को नुकसान हुआ
सिद्धारमैया ने चुनाव की तारीखों का एलान होने से ठीक पहले राज्य में लिंगायत कार्ड खेला। इस समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा। माना जा रहा है कि सिद्धारमैया का यह दांव उलटा पड़ा। राज्य में लिंगायतों की आबादी 17% से घटाकर 9% मानी गई। इस कदम से वोक्कालिगा समुदाय और लिंगायतों के एक धड़े वीराशैव में भी नाराजगी थी। इससे उनका झुकाव भाजपा की तरफ बढ़ा।

मोदी ने 21 रैलियों से 115 सीटों को कवर किया
मोदी ने इस चुनाव में 21 रैलियां कीं। कर्नाटक में किसी प्रधानमंत्री की सबसे ज्यादा रैलियां थीं। दो बार नमो एप से मुखातिब हुए। करीब 29 हजार किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान मोदी एक भी धार्मिक स्थल पर नहीं गए।

मोदी ने 20 करोड़ आबादी और 403 सीट वाले यूपी में 24 रैलियां की थीं। कर्नाटक की आबादी 6.4 करोड़ और 224 सीटें हैं। मोदी ने सबसे अधिक 34 रैलियां गुजरात में और 31 बिहार चुनाव में की थीं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 27 रैलियां और 26 रोड शो किए। करीब 50 हजार किलोमीटर की यात्रा की। 40 केंद्रीय मंत्री, 500 सांसद-विधायक और 10 मुख्यमंत्रियों ने कर्नाटक में प्रचार किया। भाजपा नेताओं ने 50 से ज्यादा रोड शो किए। 400 से ज्यादा रैलियां कीं।

उधर, राहुल ने 20 रैलियां और 40 रोड शो-नुक्कड़ सभाएं कीं। राहुल ने मोदी से दो गुना अधिक दूरी तय की। 55 हजार किमी की यात्रा की। इससे पहले, राहुल ने यूपी चुनाव से पहले खाट पर चर्चा की थी। पूरे राज्य का दौरा किया था। 20 रैलियां और 8 रोड शो किए थे। यूपी में सोनिया गांधी ने प्रचार नहीं किया था, जबकि कर्नाटक में उन्हें प्रचार के लिए उतरना पड़ा।