यूपी के उपचुनाव में भाजपा को मिली हार से सकते में सहयोगी दल

0
200

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की गोरखपुर, फूलपुर लोकसभा सीट के बाद कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को शिकस्त का सामना करना पड़ा। हार का ‘चौका’ लगाने के बाद यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन वाले दलों (अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) की बेचैनी बढ़ गई है। दोनों सहयोगियों का लक्ष्य अपनी राजनीतिक जमीन को बचाना है, जिससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में चुनाव के मद्देनजर ऊर्जा भरी जा सके।
In the UP bypoll, the BJP lost its alliance with the allies
तय रणनीति के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति और अपना दल अध्यक्ष आशीष पटेल ने पार्टी के संस्थापक सोने लाल पटेल के जन्म स्थान कन्नौज के बगुलिहाई गांव में 7 जून को पार्टी काडर को इकट्ठा होने के निर्देश दिए हैं। इसके इतर राजधानी लखनऊ में 2 जून को पार्टी के संस्थापक की याद में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रमों के पीछे यह है उद्देश्य
इन कार्यक्रमों के जरिए अपना दल सोने लाल पटेल की विरासत पर दावा करना चाहती है। यही नहीं, कार्यक्रम में पार्टी काडर को यह संदेश देने की कोशिश भी की जाएगी कि वर्ष 2014 से अब तक चुनाव चिन्ह पर अनुप्रिया और उनकी मां के बीच चल रही खींचतान के बावजूद पार्टी सोने लाल के आदर्शों का पालन करना जारी रखेगी।

बीजेपी की हार का अपना दल पर असर
ओबीसी वर्चस्व वाली पार्टी होने के नाते अपना दल यही चाहती है कि अपने वोटबैंक पर उसकी पकड़ मजबूत रहे। इसके साथ ही पार्टी की यह भी कोशिश है कि समाजवादी पार्टी (एसपी) के गढ़ माने जाने वाले कन्नौज में सेंध लगाकर किसी तरह से उसे अपने खाते में जोड़ा जा सके। हालांकि, उपचुनाव में बीजेपी की शिकस्त के बाद अपना दल को अपनी उम्मीदों पर पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है। अपना दल ने अब अगला दांव चलते हुए उत्तर प्रदेश में डीएम और एसएसपी पदों के लिए 50 फीसदी से ज्यादा एससी/ओबीसी कोटा की अनिवार्यता को लेकर हलचल तेज कर दी है।

जानिए, बीजेपी के लिए क्यों अहम है अपना दल
बता दें कि पूर्वांचल में नौ विधायकों और बड़े वोट बैंक के साथ अनुप्रिया की पार्टी बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के प्रत्?याशी अरविंद केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों के अंतर से वाराणसी में शिकस्त दी थी। पीएम मोदी की इस जीत में सेवापुरी विधानसभा काफी अहम रही क्योंकि यहां पर अपना दल 45,000- 70,000 वोटों के बड़े अंतर के साथ जीतती रही है।