इंडियन क्रिकेट …माही है तो मुमकिन है…

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चेन्नई से ऋत्विक सिंह- 5 मार्च को नागपुर में खेले गये भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के दूसरे एकदिवसीय मुकाबले में कांटे की टक्कर चल रही थी। कोई भी टीम मैच को जीतने की प्रबल दावेदार नही थी। रोमांचक मुकाबला आखरी ओवर तक आ गया।कप्तान के पास दो विकल्प थे। वे या तो केदार जाधव को गेंद सौंपते या फिर विजय शंकर को।विजय शंकर ने पूरे मैच में एक ही ओवर किया था जिसमें 13 रन लुटाये थे। लेकिन कप्तान विराट कोहली ने निर्णय लेने से पहले सलाह ली माही (महेंद्र सिंह धोनी ) से।

आँकड़े तो केदार जाधव के पक्ष में थे परंतु धोनी के अनुभव ने विजय शंकर का चयन किया। कई विशेषज्ञों ने इस फैसले पर उंगली उठाई। लेकिन विजय शंकर की पहली ही गेंद पर 50 रन बनाकर खेल रहे स्तोइनिस एलबीडब्ल्यू आउट करार दिये गये। माही की विजय शंकर से अंतिम ओवर कराने की सलाह जादुई साबित होती दिख रही थी। दरअसल जो किसी को नही दिख रहा था वह माही को नज़र आ रहा था।

कंगारुओं के नो विकेट हो गए थे और टीम इंडिया जीत से मात्र एक विकेट दूर ही खड़ी थी। भारत और जीत के बीच सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़े स्तोईनिस का पहली ही गेंद पर आउट हो जाना भारत की जीत का कारण बना। शंकर ने अगली बॉल पर दो रन बने। तीसरी बॉल ने जेम्पा का मिडिल स्टाम्प उड़ा दिया। ग्राउंड में दर्शकों के साथ टीवी पर मैच देख रहे लाखों लोग खुशी से झूम उठे। एक निणर्य से टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया से जीत छीन ली। तीन गेंदों में आखरी दो विकेट झटक कर मैच भारत की झोली में कर दिया।

आखिरी ओवर में गेंदबाज के चयन ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई क्योंकि जाधव धीमी गति के गेंदबाज हैं और शंकर तेज गति के। इस प्रकार माही ने मैच में बल्ले के साथ खास कमाल न करने के बावजूद मैदान में बुद्धि त्तपरता का परिचय देते हुए मैच को भारत के पक्ष में करने में बड़ा योगदान दिया।
वैसे तो एम एस धोनी कई बार अपने अनुभव का परिचय दे चुके है। 2007 के विश्व कप फाइनल में जोगींदर शर्मा से आखरी ओवर करवाना हो या फिर हार्दिक पण्ड्या से 2016 विश्व कप में आखरी ओवर,दबाव की स्तिथि में धोनी के फैसले निर्णायक साबित हुए। 2016 में तो बांग्लादेश के विरुद्ध आखिरी गेंद पर जो रन आउट धोनी ने किया वो हम सभी ने देखा है। कहते है उस स्प्रिंट के दौरान धोनी की गति विश्व के सबसे तेज धावक बोल्ट जितनी थी।
इसी प्रकार अपने आलोचकों को जवाब देना एम एस धोनी की आदत बन चुका है। बल्ले से प्रदर्शन ना करने पर विकेट के पीछे रहकर टीम की जीत को निश्चित करना उनके कार्य का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में सभी जानते हैं कि विश्व कप में उनकी मौजूदगी टीम के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।