कमजोर हो सकती है भारत की GDP, एडीबी ने घटाया विकास दर का अनुमान

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बिजनेस डेस्क

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान बुधवार को 6.50 फीसदी से घटाकर 5.10 फीसदी कर दिया है। इससे पहले सितंबर और जुलाई में भी एशियाई विकास बैंक ने भारती की विकास दर का अनुमान घटाया था। एडीबी ने 2019-20 के लिए सितंबर में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी और उसके बाद 7.2 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था।

एडीबी ने दिया बयान

इस संदर्भ में एडीबी ने कहा कि खराब फसल से ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति और रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग को प्रभावित किया है। इसके कारण वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है। साथ ही उसने कहा कि अनुकूल नीतियों के कारण आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में मजबूत होकर 6.5 फीसदी पर पहुंच जाने का अनुमान है।

आरबीआई ने भी घटाया GDP अनुमान

इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।

4.5 फीसदी पर भारत की जीडीपी

इससे पहले जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था में सुस्ती गहराने के संकेत मिले हैं। जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है।

इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।

चक्रीय है आर्थिक सुस्ती: सुब्रमण्यन 

हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा था कि भारत की आर्थिक सुस्ती ढांचागत के बजाय चक्रीय ज्यादा है और सरकार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए पूरी तैयारी के साथ सुधार के एजेंडे पर काम कर रही है। उन्होंने फिक्की यंग लीडर्स समिट के दौरान ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा सुस्ती चक्रीय है और सरकार की तरफ से किए जा रहे कॉर्पोरेट कर जैसे उपायों का उद्देश्य देश में निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करना है, जो टिकाऊ विकास के लिए जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए निजी निवेश और खपत का बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘इन उपायों को लागू करने के पीछे सरकार का सोचा-समझा एजेंडा है और इनके नतीजे जल्द ही दिखने लगेंगे।’