भारत की विकास दर 1.1 प्रतिशत गिरी, रोजगार मामले में खड़ी हो सकती है बड़ी चुनौती

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नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 1.1 प्रतिशत घटकर 7.1 प्रतिशत पर आने के बावजूद सम्मानजनक है, लेकिन तिमाही दर तिमाही आधार पर इस मामले में गिरावट आना रोजगार के मामले में बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है।
दरअसल देश में नौकरियों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
India’s growth rate fell by 1.1 percent, major challenge can be raised in employment
हर साल 1.2 करोड़ से ज्यादा नए युवा उन लोगों की कतार में खड़े हो रहे हैं, जिन्हें नौकरी की तलाश है। इस बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा करने के लिए देश की आर्थिक विकास दर हमेशा 8 प्रतिशत से ऊपर होनी चाहिए। हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह लक्ष्य हासिल हो गया और विकास दर 8.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, लेकिन दूसरी तिमाही में यह रफ्तार धीमी पड़ गई।

ऐसा भी नहीं है कि विकास दर में गिरावट की उम्मीद नहीं थी। विशेषज्ञों और विश्लेषकों की जमात में इस बात को लेकर करीब-करीब आम राय थी कि जुलाई-सितंबर तिमाही में विकास दर अप्रैल-जून तिमाही की तरह 8 प्रतिशत से ऊपर नहीं होगी। ज्यादातर का मानना था कि यह आंकड़ा 7.2-7.6 प्रतिशत के आसपास रहेगा, लेकिन यह इससे भी नीचे रहा।

वित्त मंत्रालय ने जताई निराशा
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि दूसरी तिमाही के लिए आर्थिक विकास दर का आंकड़ा निराशाजनक नजर आता है, लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही का आंकड़ा बेहतर है। हालांकि जुलाई-सितंबर की विकास दर पिछली तीन तिमाहियों में सबसे कम है।

गर्ग ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्घि दर 7.1 प्रतिशत निराशाजनक लगती है। इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्घि दर 7.4 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र की वृद्घि दर 3.8 प्रतिशत रही, जो ठीक-ठाक है।’ गर्ग ने लिखा कि अप्रैल-सितंबर छमाही की वृद्घि दर 7.6 प्रतिशत रही, जो काफी बेहतर है। उन्होंने कहा, ‘इन सबके बावजूद दुनिया में यह सबसे ऊंची वृद्घि दर है।’

ज्यादा खर्च नहीं कर सकती सरकार
बहरहाल, रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ज्यादा खर्च करने की स्थिति में भी नहीं है। कारण यह है कि चालू वित्त वर्ष पूरा (31 मार्च) होने से पहले ही राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य को पार कर गया है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच सरकार का राजकोषीय घाटा 6.49 लाख करोड़ रुपए रहा, जो चालू वित्त वर्ष के बजटीय लक्ष्य का 103.9 प्रतिशत है। ऐसे में यदि सरकार खर्च बढ़ाती है, तो राजकोषीय घाटा और बढ़ जाएगा, जिससे निपटना आसान नहीं होगा।

हालांकि सरकार ने कहा कि वह राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा करने में सफल होगी। वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.3 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य रखा है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 के पहले सात महीनों के दौरान सरकार को टैक्स से कुल 6.61 लाख करोड़ रुपए की आय हुई।