भारत की सुरक्षा अब और भी मजबूत होने वाली है, 22 मई को इसरो लॉन्च करेगा ‘रिसैट- 2बीआर1’

0
145

नई दिल्ली

भारत की सुरक्षा अब और भी मजबूत होने वाली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 22 मई को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से नवीनतम रडार इमेजिंग सैटेलाइट रिसैट-2बीआर1 लॉन्च करने जा रहा है।

रिसैट-2बीआर1 पिछले रिसैट-सीरीज उपग्रह की तुलना में अधिक उन्नत है। टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इसरो से जुड़े सूत्र का कहना है, “हालांकि ये नई सैटेलाइट बाहर से दिखने में पुरानी सैटेलाइट जैसी ही है लेकिन इसका तकनीक काफी अलग है।

इस नई सैटेलाइट में निगरानी और इमेजिंग क्षमताओं को बढ़ाया गया है।” रिसैट एक्स-बैंड सिनेटिक अपार्चर रडार (एसएआर) ना केवल दिन और रात बल्कि हर मौसम में भी निगरानी रखने की क्षमता रखता है। केवल इतना ही नहीं रडार बादलों के होने पर भी काम कर सकता है और 1 मीटर के रिजॉल्यूशन तक जूम कर सकता है।

एक सूत्र का कहना है, “रीसैट सैटेलाइट धरती पर मौजूद किसी बल्डिंग या फिर किसी अन्य चीज की दिन में दो से तीन बार तस्वीर ले सकता है।” इससे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों में हो रही गतिविधियों पर और एलओसी के पास स्थित आतंकियों के लॉन्चपैड पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी। इस नई सैटेलाइट से सभी मौसमों में निगरानी की जा सकेगी जिससे भारतीय सुरक्षा बलों को किसी भी तरह की परेशानी से निपटने में आसानी होगी।

इस साल पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश के बालाकोट स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी इस सैलेटाइट की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। रीसैट से आपदा प्रबंधन में भी इसरो को काफी सहायता मिलेगी। साथ ही भारतीय सीमाओं के पास किसी भी खतरे को आसानी से भांपा जा सकेगा। समुद्र में मौजूद शत्रुओं के जहाज, हिंद महासागर में चीनी नौसैनिक पोत और अरब सागर में पाकिस्तानी युद्धपोतों पर भी इससे नजर रखी जा सकेगी। पुरानी रीसैट सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों का 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में इस्तेमाल किया गया था।

मुंबई में 2008 में हुए 26/11 आतंकी हमले के बाद रिसैट-2 को रीसैट-1 कार्यक्रम से अधिक प्राथमिकता दी गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें उन्नत रडार प्रणाली थी। ये सैटेलाइट इस्त्रायल में बनाई गई थी और 20 अप्रैल, 2009 को लॉन्च की गई थी। इससे सुरक्षा बलों की निगरानी करने की क्षमता में वृद्धि हुई। ये सैटेलाइट 536 किमी की ऊंचाई से, 24७7 भारतीय सीमाओं की निगरानी करती है और सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठियों पर नजर रखने में मदद करती है।