क्या ये तूफान के पहले की शांति है…

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ब्रजेश राजपूत

आखिर जब रहा नहीं गया तो रजनी ने कह ही दिया तीन दिन हो गये हैं और हर वक्त फोन पर एक ही मुददे पर बातें एक जैसे सवाल उनके एक जैसे जबाव, हैरान हूं कि एक जैसा बोलते बोलते थक नहीं रहे। सोचा तो हमने भी यही था कि कई महीनों की तैयारी के बाद जब विधानसभा चुनाव आये तो मतदान के बाद आराम ही करेंगे मगर बैचेनी है कि चैन सुकून छीने हुये है हमारी और दूसरों की भी। रोज आने वाले आधे फोन यही जानने को होते हैं कि क्या होने वाला है किसकी सरकार बनने वाली है किसी को भी ग्यारह यानिकी मतगणना के दिन तक इंतजार नहीं हैं। इंतजार तो किसी को भी नहीं है।
Is this peace before the storm …
भोपाल के उम्मीदवार अखबारों के लिये परिवार के साथ चाय पीते हुये फोटो खिचवा खिचवा कर परेशान हो गये हैं। इसके अलावा करें भी तो क्या। सामर्थ्यवान प्रत्याशी परिवार के साथ देव दर्शन के नाम पर सैर को निकल गये हैं जो बचे हैं वो बूथ वार मिले वोटों की कई कई बार गिनती कर जीत की अधूरी सी उम्मीद कर खुश हो रहे हैं। और जिनको हारने का अंदेशा हो गया है वो बनावटी मुस्कान को ग्यारह तक होठों पर खीचें रहने का अभ्यास कर रहे हैं।

नेताओं और उनके समर्थकों को मतदान के बाद से मतगणना तक एक नया काम और मिल गया है वो है सुरक्षा बलों के कडे पहरे में रखी ईवीएम मशीनों की रखवाली का। कोई भरोसा करने को तैयार ही नहीं है कि ईवीएम में जो परिणाम बंद हो गया है अब उससे कोई छेडछाड नहीं होगी। लोगों के पास नयी नयी थ्योरी और कहानियां हैं। कोई स्टांग रूम यानिकी जहां पर पहरे में ईवीएम रखी हैं वहां बिजली बंद होने और उस दौरान उनमें छेडछाड करने की बात बताता है तो कोई कहता है कि जहां ईवीएम रखीं हैं वहां सुरक्षा बलों की तैनाती से ज्यादा जरूरी जैमर को लगाना है क्योंकि वाईफाई या ब्लूटूथ की मदद से ईवीएम में आंकडे बदले जा सकते हैं।

भोपाल की पुरानी जेल में बने स्टांग रूम में पहले दिन बिजली क्या गुल हुयी हंगामा हो गया। कलेक्टर से लेकर चुनाव आयोग तक को सफाई देनी पडी उधर सतना में स्टांग रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे में दो लोग कार्टन में कुछ लाते हुये दिखे बस फिर क्या था यहां भी आधी रात को हंगामा हुआ कलेक्टर कमिश्नर को मौके पर आना पडा। बडा हंगामा तो सागर में हुआ जहां पर खुरई विधानसभा के लिये रखी गयी अतिरिक्त ईवीएम एक दिन बाद बिना नंबर की गाडियों से पहुंची तो कहा गया कि इनमें वोट भरकर अब रखा जा रहा है ये हंगामा तब शांत हुआ जब उन ईवीएम को पूरा जांच के बाद ही रखा गया। ऐसा ही हंगामा खरगौन में भी हुआ। मगर लापरवाही की हद तो तब हुयी जब शुजालपुर की होटल के कमरे से ईवीएम मतदान अधिकारियों के साथ बरामद की गयी।

ये सारे मामले सरकारी कर्मचारियों की काम को लेकर लापरवाही से संबंधित ज्यादा है बजाय ईवीएम में छेडछाड जैसे गंभीर आरोप के। पिछले कुछ चुनावों में हारने वाली पार्टी के ईवीएम पर आरोप लगने से बार बार हुये परीक्षणों में ईवीएम प्रामाणिक पायी गयी है। मगर अब ये दस्तूर हो गया है कि चुनाव हारने के बाद ईवीएम पर सवाल बडी पार्टी से लेकर निर्दलीय तक लगाते हैं। मगर इस ईवीएम के इतर लाख टके का सवाल वही है कि किसकी बन रही है सरकार। इस सवाल पर घुमा फिराकर जबाव ही देना होता है। मगर मुश्किल उस वक्त बढ जाती है जब कुछ लोग अड जाते हैं कि संख्या बताइये कितनी बीजेपी ओर कितनी कांग्रेस आ रही है।

हम टीवी वालों से लोगों की अपेक्षा इस बात की भी होती है कि मतदान बाद का आपका एक्जिट पोल क्या बोल रहा है। लोग समझते हैं कि हम चुनाव के दिन रिपोर्टिंग के साथ ही एक्जिट पोल या सर्वे करते रहते हैं तो बडे अधिकार से पूछते हैं कि भाई बताओ क्या कह रहा है आपके चैनल का एक्जिट पोल। फिर बताना पडता है कि हमारा एक्जिट पोल से कोई लेना देना नहीं होता। ये काम एक अलग एजेंसी ओर उसके लोग करते हैं हमारा चैनल तो उसे प्रसारित भर करता है जिसे बाद में लोग चैनल के सर्वे के रूप में बताते हैं मगर वो सिर्फ सर्वे होता है उस एजेंसी का जिसे ये काम चुनाव के बहुत पहले ही दे दिया जाता है।

मगर इस बार कुछ एजेंसी के डाटा बाहर आ गये हैं और जिनमें दोनों पार्टियों के मत प्रतिशत में बडा अंतर बताया जा रहा है। अब कितना अंतर और किस पार्टी के पक्ष में में ये तो पता लगेगा सात दिसंबर की शाम जब राजस्थान के मतदान खत्म होते ही एक्जिट पोल टीवी चैनल दिखाया जायेगा ओर असली तस्वीर सामने आयेगी ग्यारह दिसंबर को जब ईवीएम सच्चाई के आंकडे उगलेगीं मगर हां इस बार वोटर वोट डालने के पहले जितना शांत था वोट डालने के बाद उससे ज्यादा शांत होकर काम में लग गया है। चुनाव के बाद घनघोर शांति है गांव से लेकर शहर तक मगर क्या ये तूफान के पहले की शांति है ?
एबीपी न्यूज, भोपाल