आयकर छापों के दौरान बरामद दस्तावेजों में जिन लोगों के नाम आए हैं, उनका बचना मुश्किल

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TIO BHOPAL

कमल नाथ सरकार में पड़े आयकर छापों के दौरान बरामद दस्तावेजों में जिन लोगों के नाम आए हैं, उनका बचना मुश्किल नजर आ रहा है। मामले में चुनाव आयोग की पैनी नजर है। आयोग ने आरोपित चार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश देने के साथ मामले का फॉलोअप लेना भी शुरू कर दिया है। पांच जनवरी को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा को आयोग ने दिल्ली तलब किया है।

उनसे प्रकरण की प्रगति के बारे में पूछताछ की जाएगी। वहीं, शासन ने भी सीबीडीटी की रिपोर्ट पर विधिक परामर्श भी लिया गया है। जांच में सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। अधिकारियों के साथ-साथ रिपोर्ट में सामने आए अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज कराए जाएंगे।

सीबीडीटी की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल को लेकर शासन को कार्रवाई करने के लिए कहा है। इसमें तीन आइपीएस अधिकारी (सुशोवन बनर्जी, वी. मधुकुमार और संजय माने) और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी (अरुण कुमार मिश्रा) के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई होनी है। आयोग ने आइपीएस अधिकारियों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा है तो मुख्य सचिव से कहा गया है कि वे राज्य पुलिस के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें, लेकिन शासन अभी इस मामले में कदम ही आगे नहीं बढ़ा पाया है।

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ रिपोर्ट पर विचार किया जा चुका है और कानूनी पहलुओं पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं से सलाह भी ली गई है। बताया जा रहा है कि दो-तीन बार रिपोर्ट पर विधि विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा हो चुकी है। हालांकि, शासन किसी भी जल्दबाजी के पक्ष में नहीं है। माना जा रहा है कि सभी संभावनाओं पर विचार करने के बाद ही जांच के बिंदु तय किए जाएंगे और प्रकरण आगामी कार्रवाई के लिए ईओडब्ल्यू को दिया जाएगा।

16 दिसंबर को कार्रवाई के लिए पत्र भेजने के बाद अब मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह को आयोग ने पांच जनवरी को तलब किया है। बैठक निर्वाचन सदन में साढ़े 11 बजे होगी। इसमें शासन द्वारा अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी ली जाएगी। माना जा रहा है कि चुनाव में कालेधन के उपयोग को लेकर मध्य प्रदेश में कार्रवाई करके देश में उदाहरण स्थापित किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में शासन फूंक-फूंककर ही कदम उठाएगा। विधिक सलाह के मुताबिक ही जांच का दायरा तय होगा। अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई अगले सप्ताह शुरू हो सकती है। वहीं, रिपोर्ट में गैर सरकारी व्यक्तियों की भूमिका सामने आई है, उनके विरुद्ध भी आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा। दरअसल, इन्हीं व्यक्तियों से उस कड़ी का पता लगाया जाएगा, जहां से पैसा आया और गया।