आईटीएटी का करदाताओं के पक्ष में बड़ा फैसला, कर सकते हैं रिवाइज्ड रिटर्न फाइल

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मुंबई। इनकम टैक्स अपीलेट अथॉरिटी ने करदाताओं के पक्ष में बड़ा फैसला दिया है। अथॉरिटी ने कहा है कि इनकम टैक्स आॅफिसर संशोधित आयकर रिटर्न में टैक्स छूट के दावे को इस लिहाज से खारिज नहीं कर सकते कि नोटिस जारी करने के बाद रिवाइज्ड रिटर्न फाइल किया गया। हालांकि, प्राधिकार ने यह भी स्पष्ट किया कि रिवाइज्ड रिटर्न इनकम टैक्स अधिनियम के तहत तय समय सीमा के अंदर फाइल करना जरूरी है। इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के मुंबई ब्रांच ने यह फैसला 20 जून को दिया।
ITAT’s big decision in favor of taxpayers, can be revised returns file
जब आय की सही जानकारी नहीं देने या टैक्स छूट का दावा नहीं करने जैसी गलतियां आॅरिजिनल इनकम टैक्स रिटर्न में हो जाती हैं तो इनकम टैक्स ऐक्ट 139(5) के तहत ये गलतियां सुधार करके संशोधित रिटर्न फाइल करने की अनुमति मिलती है। अभी रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की समयसीमा चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिथि से 12 महीने के अंदर या इनकम टैक्स असेसमेंट पूरा होने से पहले, इनमें जो भी पहले हो, है।

महेश हिंदुजा ने वित्त वर्ष 2010-11 के आॅरिजिनल आईटी रिटर्न में 4.91 लाख रुपये की कुल आय घोषित की थी। बाद में उन्होंने रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके अपनी आय 6.24 लाख रुपये बताई। साथ ही, उन्होंने करीब 50 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) की भी घोषणा की। हालांकि, उन्होंने एक नए आवासीय मकान में 1.15 करोड़ रुपये निवेश किए थे और आयकर अधिनियिम की धारा 54 के तहत टैक्स छूट का दावा किया था। हिंदुजा ने कैपिटल गेंस पर टैक्स छूट का दावा किया।

कानून के मुताबिक, अगर निश्चित समयसीमा के अंदर देश में कहीं भी दूसरे मकान में निवेश किया जाता है तो एलटीसीजी की रकम में से ‘नए मकान की लागत’ घटाकर शेष रकम पर ही टैक्स लिया जाता है। यानी, अगर एलटीसीजी की रकम नए मकान की लागत के बराबर या कम है तो एलटीसीजी की पूरी रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई टैक्सपेयर अपनी आमदनी कम करके नहीं बताए या कम टैक्स नहीं भरे, इनकम टैक्स ऐक्ट आयकर अधिकारियों को दावे के पक्ष में सबूत पेश करने के लिए नोटिस भेजने का अधिकार प्रदान करता है। चूंकि हिंदुजा ने सेक्शन 143(2) के तहत नोटिस मिलने के बाद रिवाइज्ड रिटर्न फाइल किया था, इसलिए इनकम टैक्स आॅफिसर ने टैक्स छूट का उनका दावा खारिज कर दिया।

यह विवाद आखिरकार आईटीएटी पहुंचा जिसने इनकम टैक्स आॅफिसर द्वारा हिंदुजा का दावा खारजि करने को अवैध बता दिया। हालांकि, आईटीएटी ने रिवाइज्ड रिटर्न में एलटीसीजी समेत दी गई ज्यादा आय की जानकारी को स्वीकार कर लिया। सिर्फ सेक्शन 54 के तहत टैक्स छूट का दावा खारिज कर दिया गया।