जयपुर। इस साल के आखिर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक और शाही परिवार की राजनीति में एंट्री होने वाली है। जैसलमेर राजपरिवार की वंशज और महारावल बृजराज सिंह की पत्नी राजेश्वरी राज्य लक्ष्मी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। इलाके में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में हलचल तेज हो गई है।
Jaisalmer will be a Royal Family Entry in politics, Rajeshwari is preparing to contest the Lakshmi elections
हालांकि अब तक उन्होंने किसी भी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा नहीं जताई है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही कई और शाही परिवार अखाड़े में कूदने की जुगत में हैं। राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र सिंह खांगरोट का कहना है, ‘दोनों पार्टियों में उनके लिए दरवाजे खुले हैं। इलाके में वह लोकप्रिय चेहरा हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान उन्होंने तेजी से जनसंपर्क अभियान चलाया है। वह सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती नजर आ रही हैं। ‘
कई मजबूत दावेदार रेस से होंगे बाहर!
इन सबके बीच बीजेपी और कांग्रेस के नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। अगर राज्य लक्ष्मी कांग्रेस से चुनाव लड़ती हैं, तो पार्टी के रूपाराम ढांड़े, सुनीता भाटी, जनक सिंह भाटी और सवाई सिंह पीठला जैसे मजबूत कैंडिडेट रेस से बाहर होंगे। एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘अगर वह बीजेपी के टिकट पर लड़ती हैं, तो डॉ. जितेंद्र सिंह, विक्रम सिंह नाचना, रेणुका भाटी और जालम सिंह जैसे दावेदारों को बैठना पड़ेगा।’
जैसलमेर शाही परिवार का सियासी इतिहास
राजेश्वरी राज्य लक्ष्मी नेपाल के सिसोदिया राणा राजघराने की राजकुमारी हैं, जिनकी शादी जैसलमेर शाही परिवार के वंशज बृजराज सिंह से 1993 में हुई थी। हालांकि जैसलमेर राजपरिवार से सियासत में प्रवेश करने वाली वह पहली सदस्य नहीं हैं। 1957 में पूर्व महाराजा रघुनाथ सिंह सांसद बने थे, वहीं राजघराने के ही हुकुम सिंह 1957-67 तक लगातार दो कार्यकाल के लिए विधायक रहे।
इसके बाद वर्तमान वंशज बृजराज सिंह के चाचा चंद्रवीर सिंह 1980 में विधायक निर्वाचित हुए। उनके बाद डॉ. जितेंद्र सिंह का बतौर विधायक 3 साल का छोटा कार्यकाल रहा। इसके बाद से जैसलमेर रॉयल फैमिली का कोई सदस्य चुनाव नहीं जीत सका। एक कांग्रेस नेता ने हमारे सहयोगी टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया, ‘राजेश्वरी राज्य लक्ष्मी के पास चुनाव जीतने का बढ़िया मौका है। जनता के बीच उनकी छवि एक सामान्य नागरिक की है। उनके पास न केवल राजपूत समुदाय का समर्थन है, बल्कि मेघवाल और दूसरी जातियां भी उनके साथ हैं।’
राजनीति में राजपरिवारों का जलवा
राजस्थान विधानसभा लंबे अरसे से राजपरिवार के वंशजों का ठिकाना रही है। कुछ राजघरानों के सदस्य इसे अपनी शाही विरासत को बचाए रखने का एक जरिया मानते हैं, वहीं कुछ इसे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के रास्ते के रूप में देखते हैं। लेकिन यह हकीकत है कि वह यहां पैर जमाने के लिए आते हैं।
मौजूदा विधानसभा में भी शाही परिवारों के वंशजों का अच्छा-खासा रसूख है। इसमें सबसे प्रमुख मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं, जो धौलपुर राजघराने की वंशज हैं। बीकानेर रॉयल फैमिली की सिद्धि कुमारी, डीग राजपरिवार की कृष्णेंद्र कौर दीपा, जयपुर राजघराने की दिया कुमारी, शाहपुरा के राव राजेंद्र सिंह और खींवसर रियासत के गजेंद्र सिंह खींवसर लोकतंत्र में ‘शाही खून’ की नुमाइंदगी कर रहे हैं।