जम्मू
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद देश की राजनीति में भी बड़ा बदलाव आया है। पहली बार सरकार ने पीओके को जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग बताते हुए इसे दोबारा से वापस लेने की प्रतिबद्धता जताई। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को हर बार झटके पर झटका लगा।
चाहे वह राजोरी के नौशेरा इलाके में आयुध भंडार को निशाना बनाने की साजिश हो या फिर पाकिस्तान के लड़ाकू विमान को खदेड़ते हुए पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में आए विंग कमांडर अभिनंदन की सकुशल वापसी का मामला। आतंकी फंडिंग का जरिया बने क्रॉस एलओसी ट्रेड को बंद कर भी भारत ने पाकिस्तान ने तगड़ा झटका दिया है। एयर स्ट्राइक के छह महीने के भीतर ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर पाकिस्तान की लगभग कमर ही तोड़ दी।
पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले में 40 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर भारत ने एक तरह से पूरे देश में राष्ट्रवाद तथा देशप्रेम का भाव जगाने में सफलता हासिल की। एयर स्ट्राइक के सरकार के कदम की देश भर में सराहना हुई। इसके बाद ही केंद्र सरकार के मंत्रियों की ओर से लगातार पीओके को अपना अभिन्न हिस्सा बताने पर जोर दिया गया।
उधमपुर से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह समेत तमाम नेता अगला लक्ष्य पीओके को वापस लेना बताने लगे। इस तरह सरकार ने दिखाने की कोशिश की कि वह न केवल आतंकवाद को समाप्त करने को दृढ़ संकल्पित है, बल्कि आतंकवाद की धरती को वापस लेकर इस अध्याय को हमेशा के लिए बंद करना चाहती है।
एनआईए की जांच में यह बात सामने आई कि क्रॉस एलओसी ट्रेड आतंकी फंडिंग का जरिया है। कैलीफोर्निया बादाम इसका मुख्य जरिया है। गृह मंत्रालय ने पुंछ के चक्कां दा बाग तथा उड़ी के सलामाबाद से क्रॉस एलओसी ट्रेड बंद कर दिया। एलओसी क्रॉस ट्रेड से जुड़े कई कारोबारी भी जांच एजेंसी के निशाने पर है। हाल ही में एनआईए ने ट्रेड से जुड़े पुलवामा निवासी एक पूर्व अध्यक्ष को टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार भी किया है।