कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने रविवार को कांग्रेस पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने भारत की आजादी में संघर्ष के इतिहास को बिगाड़कर पेश किया और इसे एक पारिवारिक तानाशाही में बदल दिया।’ चंद्र कुमार बोस ने कहा, ‘आजाद हिंद फौज दिल्ली आकर 1944 में लालकिले में तिरंगा लहराना चाहती थी।’
Jawaharlal Nehru together with the British had opposed the Azad Hind Fauj: Chandra Kumar Bose
चंद्र कुमार बोस ने कहा, ‘1857 के बाद मंगल पांडेय का आंदोलन, फिर शहीद भगत सिंह का बलिदान, राजगुरू, बिनॉय बादल दिनेश और कई अन्य जिन्होंने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया लेकिन इस इतिहास को कांग्रेस के द्वारा विकृत कर दिया गया। यही नहीं, बोस ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निंदा की। चंद्र कुमार बोस ने कहा, ‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस अविभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू विभाजित हो चुके भारत के पहले प्रधानमंत्री थे न कि संयुक्त भारत के। यह इतिहास हमारे राष्ट्र के युवाओं को जरूर बताना चाहिए।’
जवाहर लाल नेहरू पर लगाया यह आरोप
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार ने कहा, ‘यह भी हकीकत है कि जब आजाद हिंद फौज दिल्ली आकर 1944 में लालकिले में तिरंगा लहराना चाहती थी तब पंडित नेहरू समेत कांग्रेस नेताओं ने ब्रिटिश लोगों के साथ मिलकर आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज का विरोध किया था।’
आजाद हिंद फौज के 75 साल पूरे
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के 75 साल पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर रविवार को झंडा फहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेताजी ने एक समृद्ध भारत की परिकल्पना की थी, जो अपनी परंपराओं के प्रति गर्व करने वाला और चहुंमुखी तौर पर विकसित हो। 21 अक्टूबर, 1943 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिद फौज का गठन किया था।
आजाद हिंद फौज के स्थापना दिवस के 75वें साल पर आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधा। मोदी ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए देश के अनेक सपूतों चाहे सरदार पटेल हो, बाबा साहब अंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही नेताजी के योगदान को भुलाने की कोशिश हुई। पीएम ने देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लिए बिना तंज कसते हुए कहा कि आजादी के बाद अगर पटेल और बोस का नेतृत्व मिलता तो स्थितियां अलग होतीं।