बेंगलुरु। कर्नाटक की 224 सीटों में से 18 सीटों पर बीएसपी चुनाव लड़ रही है। राज्य के एक प्रमुख विपक्षी दल जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के साथ उसका गठबंधन है। राज्य में करीब एक तिहाई दलित आबादी होने के बावजूद बीएसपी के लिए यहां की सियासी जमीन कभी भी ‘उपजाऊ’ साबित नहीं हुई है। वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जीत की बात तो दूर 100 सीटों पर वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी।
JDS-BSP alliance will lose Congress in Karnataka polls
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में 217 सीटों पर लड़ी, लेकिन 214 पर उसकी जमानत जब्त हो गई। महज 2.75 फीसदी ही वोट हासिल हुए। वर्ष 2013 के चुनाव की कहानी भी इससे कतई जुदा नहीं है। तब बीएसपी यहां की 175 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें से एक भी सीट नहीं जीत पाई।
174 सीटों पर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। उसे प्राप्त वोटों का प्रतिशत महज एक के आसपास ही रहा। लेकिन इस चुनाव में जो एक खास बात देखने को मिली, वह यह थी कि बीएसपी ने जिन-जिन सीटों पर 3,000 से ज्यादा वोट हासिल किए, उनमें से 25 सीटें कांग्रेस बहुत करीबी मुकाबले में बीजेपी या जेडीएस से हार गई। कहा जा रहा है कि यही वह समीकरण है, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को बीएसपी के साथ गठबंधन के लिए प्रेरित किया।
दलित कांग्रेस का वोट बैंक
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) मिलाकर करीब 23 फीसदी आबादी के इस हिस्से को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक समझा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने इस वोट में सेंधमारी की बहुत कोशिशें कीं, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। दलितों वोटरों के बीच बीजेपी को लेकर यह मानसिकता बनी हुई है कि यह अपर कास्ट वालों की पार्टी है।
इस कारण जेडीएस से मुस्लिम वोटर सशंकित
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते कुछ जगहों पर उसे जरूर दलित वोटरों का समर्थन हासिल हुआ था। उधर, देवगौड़ा की पार्टी भी अपने वोट बैंक विस्तार को लेकर खासी फिक्रमंद दिख रही है। पार्टी का मजबूत वोट बेस सिर्फ वोक्कालिगा में ही है जो कि कुछ खास इलाके तक ही सीमित हैं।
इसी वजह से पार्टी राज्य में विस्तार की जो ख्वाहिश रखती है, वह पूरी नहीं हो पा रही है। बीजेपी के मुकाबले जिन हिस्सों में जेडीएस मजबूत है, वहां उसे जरूर मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार जेडीएस को लेकर जिस तरह की धारणा (किसी को बहुमत न मिलने की स्थिति में बीजेपी के साथ गठबंधन हो सकता है) बनती दिखाई पड़ रही है, उसमें मुस्लिम वोटर खासे सशंकित हैं। कई जगहों पर जहां जेडीएस बीजेपी से सीधे मुकाबले में दिखाई पड़ रहा है, वहां भी वह अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता दिखाई पड़ रहा है।