गुस्से और आँसुओं का एक दर्द, फूट-फूट कर रोए जेट कर्मचारी

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वित्तीय संकट के कारण जेट एयरवेज की सभी उड़ानें अस्थायी रूप से बंद हो गईं, जिस कारण कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी का खतरा पैदा हो गया है. जेट एयरवेज के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स के सैकड़ों कर्मचारी राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए और उन्होंने एयरलाइन को दोबारा चालू करने के लिए सरकार से कुछ करने की अपील की.
जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने वेतन के भुगतान में विलंब और कंपनी की बदहाली के लिए नरेंद्र मोदी सरकार और कर्जदाताओं को जिम्मेदार ठहराया. अपना भविष्य अंधेरे में देखते हुए कई कर्मचारियों की आंखे भर आईं.
‘रात को नींद नहीं आती, ऐसा लगता है मेरे हाथ बंधे हुए हैं’
जेट एयरवेज के एक कर्मचारी पिछले 26 सालों से एयरलाइंस में सफर करने वाले यात्रियों का लगेज हैंडल करते थे. लेकिन अब भोजा के साथ-साथ जेट एयरवेज के हजारों कर्मचारियों का भविष्य अंधेरे में है, क्योंकि कर्ज में डूब चुकी एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज की सभी उड़ाने बंद हो चुकी हैं.
53 साल के एक कर्मचारी के दो बच्चों के पिता है. एयरलाइंस के हालातों पर उन्होंने कहा, “अगर यही हाल रहा, तो मुझे नहीं पता कि क्या करना है.” कर्मचारी ने कहा कि दो महीने से उन्हें सेलरी नहीं मिली है, हो सकता है उन्हें आने वाले समय में अपना घर बेचने के लिए मजबूर होना पड़े.
जेट एयरवेज के रोते हुए कर्मचारी को सांत्वना
कर्मचारी ने रोते हुए बताया, “मुझे लगता है कि मेरे हाथ बंधे हुए हैं और मैं रात को सो नहीं पा रहा हूं.” उन्होंने कहा, “मैंने अपने बच्चों को कुछ नहीं बताया. वे बहुत छोटे हैं, लेकिन वे जानते हैं कि कुछ गलत है.”
जेट एयरवेज के भीतर तेजी से हुई उथल-पुथल से हजारों कर्मचारी का करियर डगमगा गया है. जेट पर एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के कंसोर्टियम का 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है. कर्जदाताओं से इंटरिम फंड न मिल पाने की वजह से जेट एयरवेज ने अपनी सभी उड़ानों का अस्थायी रूप से बंद कर दिया है.
जेट एयरवेज के सीईओ ने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है पर कोई ठोस कदम की बात नहीं की 
जेट एयरवेज के सीईओ विनय दुबे ने बुधवार को कर्मचारियों से कहा कि एयरलाइंस की बिक्री में समय लगेगा. उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि आगे चुनौतियां और भी बढ़ सकती हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि एयरलाइन फिर से उड़ान भरेगी.
एयरलाइंस की सभी उड़ाने बंद हो जाने की वजह से 22,000 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी और एयरलाइन से जुड़े हजारों लोगों के रोजगार पर खतरा पैदा हो गया है. इन लोगों के समन्वय से ही जेट एयरवेज 120 विमानों और हर रोज 600 से ज्यादा उड़ानों का संचालित करती थी.
जे यटवेज के करीब 22,000 कर्मचारियों का भविष्य अंधेरे में है
एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें दो से चार महीने की सेलरी नहीं मिली है, जिसके चलते उनपर होम लोन की ईएमआई, स्कूल और ट्यूशन फीस का कर्ज चढ़ गया है. मेंटिनेंस न भर पाने की वजह से सोयायटी में डिफॉल्टर बना दिया गया हूं’
जेट के एक इंजीनियर ने कहा, ‘चार महीने से सेलरी नहीं मिली है. बच्चों की प्राइवेट ट्यूशन बंद करा दी हैं. अब उन्हें घर पर ही पढ़ाता हूं. हमने मूवी के लिए जाना, रेस्टोरेंट जाना या किसी भी तरह का इंटरटेनमेंट बंद कर दिया है.’ उन्होंने कहा,’बिल्डिंग मेंटिनेंस फीस न भर पाने की वजह से कम्यूनिटी में मुझे डिफॉल्टर के तौर पर लिस्टेड कर दिया गया है. यह मेरे परिवार के लिए बहुत बड़ा कलंक है.”
प्रदर्शन के दौरान फूट-फूटकर रोए कर्मचारी, मैनेजमेंट पर लगाया कर्मचारियों को अंधेरे में रखने का आरोप
दिल्ली और मुंबई में जेट एयरवेज के हजारों कर्मचारियों ने मैनेजमेंट पर कर्मचारियों को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एयरलाइंस के हालात बद से बदतर होते चले गए, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई.
एयरलाइन यूनियन लीडर चैतन्य मेनकर ने शुक्रवार को मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विरोध प्रदर्शन के दौरान चिल्लाते हुए कहा, “मैनेजमेंट ने हमें कभी भी कुछ भी साफ नहीं किया. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्मचारी “सेव जेट एयरवेज, सेव अवर फैमिली” के नारे लगा रहे थे.
दिल्ली और मुंबई में जेट एयरवेज कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन , कई कर्मचारियों ने दिया जेट से इस्तीफा
वित्तीय संकट में डूबने के बाद जेट एयरवेज से कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है. एयरलाइन के एक सीनियर पायलट ने बताया कि करीब 400 पायलट दूसरी एयरलाइंस में चले गए हैं, जबकि जेट एयरवेज के पास अभी 1300 पायलट बचे हैं.
एक सीनियर इंजीनियर ने बताया कि करीब 40 इंजीनियर जेट एयरलाइंस छोड़कर दूसरे एयरलाइंस में जा चुके है. जेट कर्मचारी पूछ रहे, हमारे बच्चे भूखे हैं कोई देख रहा है क्या? . जेट जमीन पर, कर्मचारी सड़क पर – अब उनके पास क्या विकल्प है?
जेट एयरवेज को नहीं मिला इमरजेंसी फंड, जिसके कारन बत से बत्तर हालात होते गए चैयरमेन नरेश गोयल अपने जिद के कारन एयरलाइन्स को दूसरे के हाथो में सोपने की जगह उससे डूबने पर तुले हुए हैं. पर आश्चर्य है सर्कार की इस पर नज़र क्यों नहीं गयी.