डायरेक्टर को अकस्मात् बर्खास्त करने पर प्रबंधन के खिलाफ़ नारेबाजी करने वाले कर्मचारियों को नोटिस
TIO BHOPAL
ईदगाह हिल्स स्थित जवाहरलाल कैन्सर अस्पताल एवं अनुसन्धान केन्द्र में प्रबंधन तानाशाही पर उतर आया है, उसने डेढ़ सौ से ज्यादा डॉक्टरों और स्टाफ़ के सदस्यों को कारण बाताओं नोटिस पकड़ा दिया जिन्होंने डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट् डॉ प्रदीप कोलेकर को हटाने के विरोध में स्वस्फूर्त प्रदर्शन में भाग लिया था. यह प्रोटेस्ट पूरी तरह से शांति पूर्ण था और कर्मचारी व डॉक्टर्स अपने संचालक के समर्थन एकजुटता प्रदर्शित कर पौन घंटे में अपने काम पर वापस चले गए थे. लेकिन उन्हें अगले कार्य दिवस बुला-बुला कर नोटिस थमाया गया और एक सप्ताह के अंदर जवाब नहीं देने पर निष्कासित करने की चेतावनी दी.
इन्क्यान्वें वर्षीय डायरेक्टर डॉ पंड्या ने दिए नोटिस..!
दिलचस्प यह है कि प्रबंधन ने जिन डायरेक्टर को अधिक आयु का आधार बना कर एकदम से निकाल दिया था और इस निर्णय के विरोध में और चिकित्सक के समर्थन में सभी डॉक्टर्स और कर्मचारी एकजुट हो गए थे,इन कर्मचारियों को प्रबंधन की ओर से नोटिस देने वाले डायरेक्टर डॉ पंड्या की उम्र 91 वर्ष है, वे कस्तूरबा अस्पताल से रिटायर होकर विगत तीन दशक से अस्पताल से वैतानिक पद पर जुड़े हुए हैं और कई वर्षों से उनका स्वास्थ्य भी ख़राब रहता है. लेकिन उनको गाड़ी भेज कर बार बार बुलाया जाता है और समिति तथा अस्पताल के ऐसे हर कार्य में हस्ताक्षर करवाए जाते हैं, यहाँ उल्लेखनीय है कि लोकायुक्त संगठन में प्रबंधन से जुड़े छह पदाधिकारियों और प्रभारियों की शिकायत हुई है उनमें डॉक्ह पंड्या भी शामिल है.
विज्ञापन निकाल कर किया अपने प्लान का आग़ाज..!
गौर तलब है कि प्रबंधन की ओर से प्रदर्शन के दिन शनिवार को 15 डॉक्टरों को निकालने की दी गुई थी धमकी और अगले दिन अख़बार में डॉक्टरों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया गया, दरअसल अस्पताल में पिछले छह माह से इन्दौर दवा दलालों की लॉबी सक्रिय हो गई है…. इसी लॉबी के मार्फ़त प्रबंधन ने ये धमकी दी थी कि एक नहीं जल्दी ही 15-16… चिकित्सकों को टर्मिनेट कर दिया जाएगा और उनकी जगह इन्दौर के 20 डॉक्टरों को यहा ज्वाइन करवा दिया जाएगा जो पहले तैयार बैठे है. और प्रबंधन की ओर से भास्कर में विज्ञापन निकाल कर और फिर डेढ़ सौ से ज्यादा कर्मचारियों को शोकाज नोटिस देकर इसका प्रमाण दे दिया. लेकिन अब इन हथकंडों के बावजूद भ्रष्टाचार का भांडा फूटना तय है और “जोपा परिवार” की “जागीर” बचना मुमकिन नहीं है.सच्चाई की जीत जरूर होगी.
प्रबंधन ने पिछले दिनों अस्पताल के विभिन्न कार्यकलापों निर्माण, दवा खरीदी,नई भर्ती आदि चार समितियों का गठन किया जिनमें सभी कमेटियों में यह मैनेजर शामिल है और अस्पताल की अधीक्षक को एक भी कमेटी में नहीं रखा है.आख़िर उसे हर कमेटी में क्यों न रखा जाए- वो हर उलटे सीधे कार्यों को ‘मैनेज’ करने के फन में माहिर जो हैं.उसने कई हदें पार कर ली है…और अस्पताल के सीईओ
पद का भी दावेदार है.
क्या है अगला गेमप्लान ?
सूत्रों के मुताबिक पहले अध्यक्षा यानी अपनी सासुमाँ से स्वेच्छा से इस्तीफा दिला कर दामाद होगा अध्यक्ष पद पर काबीज और फिर अपनी पत्नी सीईओं की जगह उक्त मैनेजेर की होगी नियुक्ति. मौजूदा सीईओ जो पहले से ही अस्पताल के पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट की ‘ED’ है फुल फ्लैज़ड तरीके से यह पॉवर फुल पद सम्हालेंगी और इन दोनों का बेटा दवाओं की खरीद-फरोख्त के ‘बड़े कार्य’ को अंजाम देता रहेगा और इस तरह कैन्सर चिकित्सा समिति हो जाएगी पूरी तरह जोपा परिवार का ‘जेबी संगठन’.
डॉक्टरों और स्टाफ़ का गुस्सा किसलय पर भी निकला…
कैसे चार गुना वेतन बढ़ कर हो गया दो लाख दस हजार?
चूँकि कई माहों से इस मैनेजेर किसलय शर्मा की खुराफ़ाती हरकतें और बदसलूकी की वारदातें बढ़ती ही जा रही हैं…..डेढ़ साल पहले इसे पचास हजार की तनखा पर रखा गया था और पता नहीं उसने प्रबंधन पर क्या जादू चलाया की 20 महीने में ही ‘छोटी मैडम’ ने उसकी तनखाह चारगुना बढ़ कर दो लाख दस हजार कर दी जबकि 15-20 मेडिकल आफिसर ऐसी हैं जिनकी सैलरी 20-25 साल बाद की सेवा के बाद भी अभी डेढ़ लाख तक नहीं पहुँची है. इस बात से भी अनेक डॉक्टर्स और सह कर्मियों में नाराजगी है.