मुंबई
मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल से गायनोकोलॉजी (स्त्रीरोग) की पढ़ाई करने वाली दूसरे वर्ष की छात्रा पायल तडवी ने आत्मत्या कर ली। उसकी मां ने दावा किया है कि उन्होंने बेटी के उत्पीड़न के बारे में अस्पताल के डीन को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने तीन वरिष्ठ मेडिकल छात्राओं पर बेटी का शोषण करने का आरोप लगाते हुए उन्हें बेटी की मौत का जिम्मेदार बताया है। हालांकि डीन ने ऐसे किसी भी पत्र के मिलने से इनकार किया है।
बुधवार को तडवी का शव हॉस्टल के कमरे के पंखे पर लटका हुआ मिला। गुरुवार को अग्रीपाडा पुलिस ने तीन छात्राओं के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया। मृतका के परिवार का दावा है कि छोटी जाति से होने के कारण उसका शोषण किया जाता था। उसे आरक्षण के तहत मेडिकल सीट पाने की वजह से ताने मारे जाते थे।
पुलिस ने डॉक्टर हेमा आहूजा, डॉक्टर भक्ति मेहर और डॉक्टर अंकिता खानदिलवाल के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम, एंटी रैगिंग अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
पीड़िता की मां ने बताया, ’10 मई को मेरी बेटी ने मुझे फोन किया। वह फोन पर रो रही थी उसने मुझे बताया कि उसे किस तरह का शोषण सहना पड़ता है। मैं हड़बड़ा गई और मैंने उसी रात डीन के पास शिकायत की। 13 मई को मैं डीन को पत्र सौंपने के लिए गई लेकिन हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली। इसके बजाए हमें गायनोकोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर यी चिंग लिंग से मिलने के लिए कहा गया। डॉक्टर लिंग अंग्रेजी में तेज-तेज बोल रहे थे जो मेरी समझ में नहीं आया।’
पीड़िता की मां कैंसर सर्वाइवर है और वह 2018 में अक्तूबर से दिसंबर के बीच नायर अस्पताल में भर्ती थी। उन्होंने कहा, ‘उस समय मुझे अपनी बेटी से मिलने की इजाजत नहीं दी गई। जब भी मैं उसकी यूनिट में जाती थी तो उसे जबरन काम करने को कहा जाता। कई बार काम के दबाव के कारण वह चांर से पांच दिनों तक स्नान नहीं कर पाती थी। इसके कारण उसे कई स्वास्थ्य परेशानियां हुईं।’
नायर अस्पताल के डीन डॉक्टर रमेश भारमल का कहना है कि उन्हें घटना की मौखिक या लिखित सूचना नहीं मिली थी। उन्होंने कहा, ‘यदि मुझे इसकी भनक भी होती तो मैं तुरंत इसपर एंटी रैगिंग समिति के जरिए कार्रवाई करता। मैंने गायनोकोलॉजी इकाई में छात्राओं के साथ विस्तार से बात की लेकिन किसी को उसकी स्थिति के बारे में पता नहीं था। जिन तीन छात्राओं पर आरोप लगे हैं उनके बारे में मुझे रैगिंग की कभी कोई शिकायत नहीं मिली।’ अस्पताल ने तीनों छात्राओं को कारण बताओ नोटिस भेजा है।