बाख़बर/
राघवेंद्र सिंह
चुनाव में मतदाताओं की बारात दरवाजे पर आ गई है। ऐसे में भाजपा कांग्रेस समेत सत्ता के स्वयंवर में शामिल लोकतंत्र के राजा रजवाड़े युवराज और पांव पांव से लेकर फाईव स्टार कल्चर में सियासत करने वालों में वरमाला के लिए पगड़ी बंधे सिर आगे करने की होड़ मची हुई है। प्रचार थमने के बाद सत्ता के वरण के लिए कत्ल की रातें शुरू हो गई हैं। दो दिन चलने वाली यह जद्दोजहद 28 नवंबर की शाम थम जाएगी। लेकिन इसके बाद शुरू होंगे 11 दिसम्बर तक बेचैनी भरे दिन और रात।
इस माहौल में कोई भी मामूली सी चूक भी नहीं करना चाहता। मगर सभी दल एक दूसरे पर गिध्द दृष्टि जमाए हैं कि किसी की जुबान फिसले या कदम बहके बस उसका लाभ कैसे लिया जाए इसके लिए विशेषज्ञों की टीम लगी हुई है। ऐसे माहौल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना फोकस किसानों पर रखा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का दिल दिमाग और नजरें कार्यकर्ताओं पर टिकी हैं।
Kamal Nath on activists, Shivraj’s focus on farmers
सूबे के संजीदा होते सियासी सीन में कमलनाथ ने एक पत्र लिखा है उसका लब्बोलुआब ये है कि हे कार्यकर्ताओं हस्तिनापुर सामने है और भाजपा को हराने के लिए बस एक धक्का और देने की जरूरत है। उन्होंने संघर्ष करने वाले अपने लोगों को इस बात की तसल्ली दी है कि सत्ता में आने पर सबका ख्याल रखा जाएगा।
अर्थात सत्ता में सबकी भागीदारी होगी। इसी बात को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कहते हैं कद्दू कटेगा तो सब में बंटेगा। कांग्रेस समझ गई है कि भाजपा में जो असंतोष है उसमें एक बड़े कैडर को सत्ता की रस मलाई से वंचित रखा गया है। कांग्रेस में मिल बांटकर खाने के मसले पर लोकतांत्रिक व्यवस्था है। इसलिए संभव है कमलनाथ और दिग्विजय की बात पर कांग्रेसी कार्यकर्ता ऐतबार कर लें। ऊपर के स्तर पर सत्ता सुंदरी बहुमत मिलने पर कांग्रेस में किसे वरमाला पहनाएगी ये विषय ही हाईकमान ने नहीं रखा है। उसे पता है वो ठूंठ ही नहीं रखो जिस पर उल्लू बैठे।
दूसरी तरफ भाजपा में शिवराज की अगुवाई में सवा लाख से एक लड़ाऊं की तर्ज पर काम कर रही भाजपा टीम अब एकजुट होती हुई दिख रही है। सत्ता फिसलने का डर शहरों से गांवों तक भाजपाईयों को एक कर रहा है। हालांकि कमलनाथ की तरह शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कार्यकर्ताओं को भावुक करने वाला कोई पत्र नहीं लिखा है। लेकिन किसानों के मामले में कांग्रेस के दो लाख रुपए के कर्जा माफी के वचन पत्र को शिवराज सिंह ने देर से ही सही खारिज किया है।
साथ ही उन्होंने किसानों से मैं हूं ना कि तर्ज पर कहा है कि हम इतना पैसा देंगे कि कर्जदार नहीं रहेंगे और शान से कर्जा भरेंगे। इसके बाद भी डिफाल्टर रहे तो चिन्ता मत करना पहले भी ऋण समाधान जैसी नई योजना लाएंगे और किसानों को मजबूर नहीं रहने देंगे। कांग्रेसी झूठ बोल रहे हैं देख लेना कोई कर्जा माफ नहीं करेंगे। इस तरह कन्याओं को स्कूटी देने के वादे के बाद शिवराज ने अपने वोट बैंक किसानों पर दृष्टि डाली है। इस तरह चुनाव के अंतिम दौर में गांव और किसानों पर भाजपा ध्यान दे रही है। लेकिन संगठन की दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा अपने छोटे बड़े कार्यकर्ताओं को मनाने में पहली बार बहुत संघर्ष करती नजर आ रही है।
बड़े नेताओं को लग रहा है इवेंट मैनेजमेंट की बीमारी ने पार्टी को उन वफादार और ईमानदार कार्यकर्ताओं से दूर कर दिया जो उसे चुनाव के आड़े वक्त में तब काम आते थे जब उनकी गाड़ी फंसती दिखाई पड़ती थी। अभी भी भाजपाईयों को उम्मीद है कि चुनाव प्रबंधन में रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने का काम उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। कांग्रेसी रणनीति की काट खोजने के साथ अपने लोगों को मनाने दिल से बूथ पर काम करने और भारी मतदान कराने के अभियान के लिए ये दो दिन जाने जाएंगे।
असल में भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की बेरुखी से चिंतित है और कांग्रेस भाजपा की संगठन क्षमता के इतिहास को देखते हुए परेशान है। कांग्रेस कैंप का मानना है कि उनके यहां भीतरघात करने या एक दूसरे की जड़ें खोदने के लिए कुछ खास नहीं है जबकि इस तरह के खतरे भाजपा में ज्यादा हैं। पहले भी ऐसा होता था और भाजपाई लीडर रूठों को मनाते आए हैं। अगर भाजपा पहले की तरह फिर कामयाब होती है तो सत्ता की वरमाला के लिए उनका पगड़ी बंधा सिर ज्यादा नजदीक होगा। कांग्रेस भी इस बार सिंहासन पर बैठने के लिए तैयार लगती है। कार्यकर्ताओं के लिए एक शेर सटीक लगता है…
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई शिकायत हो भी तो हम इजहार नहीं करते…