वंदे मातरम गायन पर कमलनाथ यू-टर्न, बोले-गायन को बनाएंगे आकर्षक, पुलिस बैंड की धुन पर होगा राष्ट्रगीत

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने वंदे मातरम की अनिवार्यता पर अस्थायी रूप से रोक लगाने के बाद अब यू-टर्न ले लिया है। कमलनाथ सरकार ने वंदे मातरम का गायन और आकर्षक बनाने का फैसला किया है, जिसके अनुसार अब अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ आम जनता भी वंदे मातरम के गायन में शामिल होगी। साथ ही अब पुलिस बैंड की धुन पर राष्ट्रगीत गाया जाएगा।
Kamal Nath on Vande Mataram singing will make U-turn, singing and singing, will be on the tunes of the police band National Anthem
बता दें कि मध्य प्रदेश के सचिवालय में लंबे समय से चला आ रहा एक रिवाज अचानक से बदल दिया गया। यह परंपरा थी महीने के पहले दिन राष्ट्रगीत गाने की। नया साल शुरू हुआ, पहली तारीख पर जब वंदे मातरम नहीं गूंजा तो सवाल खड़े होने लगे। विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, ‘अगर कांग्रेस को राष्ट्रगीत के शब्द नहीं आते हैं या राष्ट्रगीत के गायन में शर्म आती है तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम मैं गाऊंगा।’

कमलनाथ सरकार के फैसले के अनुसार, अब महीने के पहले कार्यदिवस के दिन पुलिस बैंड की धुन पर वंदे मातरम का गान होगा। इसमें आम जनता भी शामिल होगी। इसके लिए शौर्य स्मारक से गांधी स्मारक तक मार्च होगा, जिसमें सचिवालय के कर्मचारी भी शामिल होंगे। बता दें कि पहले सचिवालय में हर महीने के पहले कार्यदिवस पर वंदे मातरम का गान होता था। 2005 से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने यह परंपरा शुरू की थी।

कमलनाथ ने कहा था- वंदे मातरम को नया रूप दूंगा
बता दें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सफाई जारी करते हुए कहा था कि यह निर्णय ना किसी अजेंडे के तहत लिया गया है और न ही उनका वंदे मातरम को लेकर कोई विरोध है। उन्होंने कहा था, ‘वंदे मातरम को मैं एक नया रूप दूंगा और आज-कल में घोषित करूंगा।’
अपने फैसले पर सफाई देते हुए कमलनाथ ने यह भी कहा था, ‘जो लोग वंदे मातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है।

इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है। हमारी भी धर्म, राष्ट्रीयता और देशभक्ति में आस्था है। कांग्रेस पार्टी, जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता के लिए किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए व जनता को गुमराह, भ्रमित करने के लिए थोपे जाते रहे हैं।’