- शिवराज ने हनुमानजी के दर्शन किए, प्रदेशाध्यक्ष शर्मा गणेश मंदिर गए; जिलाध्यक्ष से राष्ट्रीय महासचिव तक सभी नेता मौजूद
- शिवराज-कैलाश ने विधायकों से फ्लोर टेस्ट की रणनीति पर चर्चा की, तय हुआ- कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रवाना होंगे
- 22 बागियों में से 16 विधायकों के इस्तीफे गुरुवार देर रात स्पीकर ने स्वीकार कर लिए
- इन इस्तीफों के स्वीकार होने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 92 रह गई
- ऐसे में माना जा रहा है कि कमलनाथ भी फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे सकते हैं
- कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, शिवराज सीएम बनेंगे; 25 सीटों पर उपचुनाव होंगे
TIO भोपाल
सीहोर के ग्रेसेस रिजॉर्ट में 5 दिन से ठहरे भाजपा खेमे में उत्साह है। भाजपा विधायक शिवराज सिंह चौहान के साथ तीन बसों में सवार होकर विधानसभा पहुंच गए हैं। शिवराज ने पार्टी के सभी विधायकों को अपने घर दावत पर बुलाया है। इससे पहले रिजॉर्ट में सुबह भाजपा विधायकों की बैठक हुई। इससे पहले विधायकों की बैठक में भाजपा मध्यप्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, पूर्व सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय प्रमुख भूमिका में थे। गुरुवार शाम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिवराज कुछ नेताओं के साथ सीहोर के हनुमान मंदिर में गए थे। वहीं, शर्मा ने कुछ विधायकों के साथ गणेश मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद शुक्रवार सुबह सभी विधायकों ने रिजॉर्ट के अंदर ही बने शिवजी के मंदिर में दर्शन किए। कुछ विधायकों ने जिम में पसीना बहाया तो कुछ ने योग किया।
मध्य प्रदेश में 17 दिन से जारी सियासी घमासान का शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे अंत हो गया। फ्लोर टेस्ट के पहले ही कमलनाथ ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया और 1.30 बजे राज्यपाल लालजी टंडन को सौंपा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भारतीय जनता पार्टी के सारे विधायक विधानसभा पहुंचे। निर्दलीय विधायक और सरकार में खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि अब जिस पार्टी की सरकार होगी, उसे समर्थन देंगे। उनकी भाजपा से चर्चा हो चुकी है। जायसवाल कल रात तक कांग्रेस के साथ थे। सरकार की इस स्थिति के लिए जायसवाल ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए यह निर्णय लेना पड़ा। भाजपा के सामने वरिष्ठता को सम्मान देने की मांग रखी है।
भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक साल तीन महीने तक सरकार चलाने के बाद शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनके इस्तीफे के साथ ही भाजपा के लिए सरकार बनाने का दावा पेश करने का रास्ता साफ हो गया है। 5 पॉइंट में जानिए, मध्यप्रदेश में अब आगे क्या होेने वाला है?
1. भाजपा सरकार बनाने की तैयारी करेगी
कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब दो स्थितियां होंगी। पहली- राज्यपाल मौजूदा स्थिति में सबसे बड़े दल भाजपा से सरकार बनाने का दावा पेश करने को कह सकते हैं। भाजपा इसे स्वीकार कर सरकार बना सकती है। दूसरी- राज्यपाल के कहने से पहले ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। वह विधायकों की दोबारा परेड करा सकती है और समर्थन पत्र सौंप सकती है।
2. सरकार बनाने के बाद भाजपा को बहुमत साबित करना होगा
भाजपा सरकार बना लेती है, तब भी उसे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। पिछले साल महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद उद्धव ठाकरे ने विधायकों के समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद भी उन्हें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिसमें वे जीत गए। कर्नाटक में भी 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनी। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। 6 दिन बाद ही येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
3. शिवराज रिकॉर्ड चौथी बार सीएम बन सकते हैं, उनके पास पौने चार साल सरकार चलाने का मौका
भाजपा की सरकार बनने की स्थिति में सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार शिवराज सिंह चौहान ही हैं। वे 2005 से 2018 तक लगातार 13 साल सीएम रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे फिर सीएम बनते हैं तो ये मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला मौका होगा, जब कोई चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा। शिवराज के अलावा अब तक अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रहे हैं।
4. छह महीने के अंदर 25 सीटों पर उपचुनाव होंगे
विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद पहले से 2 सीटें खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। शुक्रवार सुबह स्पीकर ने कहा, ‘‘भाजपा विधायक शरद कोल ने भी इस्तीफा दिया था, जिसे मंजूर किया जा चुका है।’’ इस तरह कुल 25 सीटें अब खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।
5. उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 10 सीटें जीतनी होंगी
- भाजपा के पास 106 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 110 हो जाती है। 25 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 6 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को 10 सीटें जीतनी होंगी।
- कांग्रेस को निर्दलियों के साथ रहने पर उपचुनाव में 17 और निर्दलियों के पाला बदलने पर 21 सीटें जीतनी होंगी। अगर निर्दलीय के साथ-साथ सपा-बसपा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो उसे सत्ता में वापसी के लिए सभी 24 सीटें जीतनी होंगी।
- कांग्रेस के 22 बागी विधायक जिन सीटों से जीते थे, उनमें से 20 पर भाजपा दूसरे नंबर पर थी। 11 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10% से भी कम था। ये 22 बागी विधायक मध्य प्रदेश के 14 जिलों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इनमें से 15 सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल से विधायक बने थे।
22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद विधानसभा की स्थिति
- मध्यप्रदेश के 2 विधायकों के निधन के बाद कुल सीटें = 228
- इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायक = 22
- 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद सदन में सीटें (228-22) = 206
- इस स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी = 104
- भाजपा = 107 (बहुमत से 3 ज्यादा)
- *कांग्रेस+ = 99 (बहुमत से 5 कम)
- *कांग्रेस के 92 विधायक रह गए हैं।
मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। सीएम हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि वह राज्यपाल को अपना इस्तीफा देंगे। अपने विदाई भाषण में कमलनाथ ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में आज फ्लोर टेस्ट का दिया था आदेश। अपडेट्स के लिए जुड़े रहें हमारे साथ…
- मैंने तय किया है कि मैं राज्यपाल को इस्तीफा दूंगा: सीएम कमलनाथ
- विधायकों को कौन ले गया। किसने पैसा दिया, कौन ले गया। आज के बाद कल भी आता है और कल के बाद परसों भी आता है। और परसों आएगा: सीएम कमलनाथ
- 15 महीने में हमारे ऊपर किसी प्रकार के घोटाले या भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सकते हैं। प्रदेश की जनता ने देखा कि इतने महीने में क्या हुआ है। विकास के पथ पर ना हम रुकेंगे झुकेंगे: कमलनाथ
- 15 महीनों में हमने 400 वचनों को पूरा किया। हमारा वचनपत्र पांच साल के लिए था।
- 15 महीने में हमने प्रदेश को माफिया मुक्त किराया। बीजेपी नहीं चाहती थी कि हम ऐसा करे। 15 साल के बीजेपी के कार्यकाल में क्या हुआ था यह हर नागरिक जानता है: सीएम कमलनाथ
- राज्य की जनता के साथ विश्वासघात हुआ है। ये विश्वासाघात मध्य प्रदेश की जनता के साथ हुआ है: सीएम कमलनाथ
- बीजेपी को 15 साल मिले थे। आज तक मुझे केवल 15 महीने मिले। ढाई महीने लोकसभा चुनाव और आचार संहिता में गुजरे। इन 15 महीनों मे राज्य का हर नागरिक गवाह है कि मैंने राज्य के लिए जन हितैषी कार्य किया। लेकिन बीजेपी को ये काम रास नहीं आए और उसने हमारे खिलाफ निरंतर काम किया: सीएम कमलनाथ
- मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या अभी 206 है। बीजेपी के 107 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास स्पीकर मिलाकर 92 विधायक हैं। मौजूदा आंकड़े के तहत बहुमत का आंकड़ा 104 का है।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा के सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार विधानसभा की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया। भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और कांगेस के बागी विधायक सुरेश राठखेड़ा की बेटी ने ससुराल में आत्महत्या कर ली है। मिली जानकारी के मुताबिक सुरेश राठखेड़ा पोहरी विधानसभा सीट से विधायक हैं और हाल ही में मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संकट के दौरान कांग्रेस से बगावत करके बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं।
दिग्विजय बोले, कमल नाथ सरकार के पास बहुमत नहीं
मप्र सरकार का आज फ्लोर टेस्ट होने से पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि 22 विधायकों के इस्तीफे होने के बाद कमल नाथ सरकार के पास बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि पैसे और सत्ता के दमपर बहुमत वाली सरकार को अल्पमत में लाया गया है।
फ्लोर टेस्ट पर बोले स्पीकर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान होगा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मप्र विधानसभा में आज दोपहर 2 बजे फ्लोर टेस्ट होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करता हूं और नियमपूर्वक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट संपन्न कराऊंगा।
फ्लोर टेस्ट में भाजपा का पलड़ा भारी
कांग्रेस के सभी 22 बागियों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद संख्या बल में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। उसके 107 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के पास स्पीकर समेत सिर्फ 92 विधायक रह गए हैं। कांग्रेस के पास निर्दलीय और बसपा-सपा के 7 विधायकों का भी समर्थन है। ऐसे में अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो कमलनाथ के लिए सरकार बचाना मुश्किल होगा।
सरकार गिरी तो राज्यपाल दे सकते हैं भाजपा को मौका
अगर कमलनाथ फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे देते हैं तो भाजपा राज्यपाल के सामने सरकार बनाने दावा पेश करेगी। मौजूदा सदस्य संख्या के मुताबिक, भाजपा के पास बहुमत होगा। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन सकते हैं। ऐसा होता है तो शिवराज रिकॉर्ड चौथी पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शिवराज के अलावा अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
भाजपा को उपचुनाव में जीतनी होंगी कम से कम 9 सीटें
मध्य प्रदेश में फिलहाल कुल 24 सीटें खाली हैं। इन सभी सीटों पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव होंगे। अगर भाजपा की सरकार बनती है तो उसे सरकार बचाए रखने के लिए उप-चुनाव में कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी। अगर कांग्रेस के सात सहयोगी उसके साथ बने रहते हैं तो उप-चुनाव में 17 सीटें जीतकर वह सत्ता में वापसी कर सकती है।
22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद विधानसभा की स्थिति
- मध्यप्रदेश के 2 विधायकों के निधन के बाद कुल सीटें = 228
- इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायक = 22
- 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद सदन में सीटें (228-22) = 206
- इस स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी = 104
- भाजपा = 107 (बहुमत से 3 ज्यादा)
- *कांग्रेस+ = 99 (बहुमत से 5 कम)
- *कांग्रेस के 92 विधायक रह गए हैं।
मध्य प्रदेश में पिछले 17 दिन से जो सियासी ड्रामा चल रहा था, वो आज लगभग खत्म हो गया। इस पूरे ड्रामे के 7 बड़े किरदार हैं, जिनके अपने-अपने रोल हैं। इस पूरे ड्रामे के हीरो रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया। क्योंकि उनके कांग्रेस छोड़ते ही और भाजपा में शामिल होते ही तय हो गया था कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनने जा रही है। इस ड्रामे से सबसे ज्यादा नुकसान में कमल नाथ और सबसे ज्यादा फायदे में शिवराज रहे। कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह को विलेन के तौर पर पेश किया गया, क्योंकि कई कांग्रेस के ही नेताओं ने कहा कि ये सबकुछ जो हो रहा है, वो राज्यसभा जाने के लिए हो रहा है। इन चार के अलावा तीन और अहम किरदार हैं, जिन्होंने परदे के पीछे से सरकार बनाने की तैयारी की। ये किरदार हैं- जफर इस्लाम, नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र सिंह तोमर