मुंबई
मुंबई में हंगामा मचाने के बाद कंगना रनौत अब खुद को कोयंबटूर में शांत कर रही हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी पर सफाई दी, मीडिया शब्द के इस्तेमाल पर सफाई दी, खुद पर पड़ रहे दबाव के जवाब में अपने गुस्से का बचाव किया और कहा कि उनकी आलोचना करने का मतलब देशद्रोही होना नहीं है।
एक ऐसा व्यक्ति जो ज्यादातर योग, मेडिटेशन, आध्यात्म की बात करता है, आप बार-बार इतनी नाराज, इतनी आक्रोशित क्यों हैं? मुझे लगता है आक्रोश एक अलग चीज है, जुनून अलग है और नाराजगी अलग है। आक्रोश और नाराजगी तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी चीज को लेकर आपसे ईष्या करता है और यह उसकी पर्सनैलिटी का भाग बन जाता है। जुनून एक ऐसी चीज है जहां एक व्यक्ति इतना लिप्त हो जाता है कि वह जो भी कहता है या जो भी करता है वह सनक जैसा लगने लगता है। मैं क्रिएटिवटी के तौर पर इतना सबकुछ अपनी जिंदगी में नहीं कर सकती हूं। क्या मैं बहुत ज्यादा भावुक हूं? हां, कई बार जैसी डिमांड होती है और जैसे मैं अपने काम करती हूं, यहां तक कि एक डायरेक्टर या एक ऐक्टर के तौर पर यह दूसरे के ऊपर कुछ दबाने जैसा लग सकता है लेकिन यह गुस्सा नहीं है।
यह मेरी भावनाओं की तीव्रता हो सकती है। अब बात करें उस व्यक्ति के मामले की जिससे मेरा आमना-सामना हुआ, तो कुछ लोगों ने इस गाली-गलौज तक बोल दिया। मैं अभी भी पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे यह गाली-गलौज नहीं लगती या यहां तक कि इसमें नाराजगी भी नहीं लगती। हां, इसे आप टकराव कह सकते हैं। क्या मैं आहत थी? जी हां, लेकिन क्या मैंने गाली दी या अपमान किया? नहीं, मैं लोगों से बहुत आहत हो जाती हूं, खासतौर पर उन लोगों से जिनसे मैं दिल से बात करती हूं और कुछ निजी टाइम बिताती हूं। इस नजरिए से देखा जाए तो क्या मैं बहुत आहत महसूस करूंगी? हां, मेरे आहत होने की अभिव्यक्ति थी? बिल्कुल, लेकिन अगर आप इसे आक्रोश कहते हैं तो कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है। लेकिन मैं इसे नाराजगी नहीं मानती हूं। हां, मैं आहत हूं, बहुत ज्यादा आहत।
आप बार-बार ‘एक वर्ग’ के बारे में बात करती हैं, लेकिन उस ‘वर्ग’ की परिभाषा स्पष्ट नहीं है क्योंकि आपके मुताबिक वह ‘बिकाऊ मीडिया’, ‘लिबरल मीडिया’, ‘देशद्रोही’ और न जाने क्या-क्या है। आपको नहीं लगता ‘मीडिया’ टर्म का इस्तेमाल कर हमलावर होना वैसा ही है जैसे हम ‘बॉलिवुड’ में सबकुछ समेट लें। मामला क्या है? आपके करियर में मीडिया ने बहुत मदद की है। मेरे ब्रैंड को बनाने में मीडिया का बहुत बड़ा रोल है। वे (जर्नलिस्ट) मेरे करियर और ब्रैंड का आधार रहे हैं। मेरे जैसा कोई भी मौजूद नहीं था और मीडिया ने मुझे वहां तक पहुंचाया। यह उनका ईमानदार काम था क्योंकि पहले मीडिया ने इतना सम्मान ऐक्टर्स को नहीं बल्कि केवल स्टार्स को दिया था।
निजी तौर पर मैं मीडिया की बहुत आभारी हूं और मैं हमेशा से मीडिया के लिए प्रिय रही हूं। यह केवल मीडिया का एक ‘वर्ग’ है जो मेरे खिलाफ इकट्ठा हो गया है। मैंने जिन लोगों के खिलाफ आवाज उठाई उन्होंने मिलकर एक गिल्ड बना ली। जब यह बनाई गई थी तब मुश्किल से 15-16 लोग इसमें शामिल थे और इनमें खासतौर पर कुछ ऐसे लोग शामिल थे जोकि वर्किंग जर्नलिस्ट भी नहीं हैं।
इसके अलावा कुछ पेड पीआर एजेंसी भी हैं जो मेरे खिलाफ अजेंडा चलाती हैं। हालांकि मैं यह बात मानती हूं कि जिन लोगों से मेरी लड़ाई है उनके लिए ‘मीडिया’ शब्द का इस्तेमाल करना गलत है। मुझे केवल उन लोगों से समस्या है जो लिबरल मीडिया के नाम पर मुझे गालियां दे रहे हैं लेकिन उनका लिबरल मीडिया से कुछ भी लेना-देना नहीं है। मीडिया बहुत बड़े मुद्दे उठाता है। लेकिन कुछ लोग हैं जो लिबरल, सेक्युलर, लेफ्ट, राइट और सेंटर जैसे शब्दों को बदनाम कर रहे हैं। आप खुद को लिबरल नहीं कह सकते अगर आप एक झूठा माहौल बना रहे हैं। मैं सही आलोचना झेल सकती हूं। यहां तक कि अगर मैं किसी विचारधारा को मानती हूं तो भी क्या मुझे इतनी समझ और अक्ल नहीं है कि मैं दूसरे पक्ष के विचार समझ नहीं सकूं? मेरी यही सोच मुझे जिंदगी में मजबूत बनाती है। निश्चित तौर पर मेरा भी एक विजन है। हो सकता है कि मैं अपनी बातें ठीक से समझा नहीं पाती हूं लेकिन मैं इस बात को समझती हूं कि आपकी सोच और विचारधारा में मौजूद गलतियों को दूर करने के लिए विपक्षी सोच कितनी जरूरी होती है।
अगर आपको लगता है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो ईमानदार नहीं हैं, ऐसे लोग हैं जिन्होंने वर्षों से आपके खिलाफ कैंपेन चलाया और उसकी वजह से आप सोचती हैं कि उन्हें आपके विरोधियों का साथ मिला है या वे आपको नापसंद करते हैं- अगर वे कहते हैं कि वे आपको कवर नहीं करेंगे और आप एक विडियो के साथ आकर कहती हैं कि इससे आप खुश हैं तो आप उसी वक्त यह भी क्यों कहती हैं कि अगर आपको कवर नहीं किया गया तो आप लीगल नोटिस जारी करेंगी? हुआ कुछ यूं कि 15-16 लोगों ने गिल्ड बनाया और ये उसके ऐडमिन बन गए। मैंने कहा कि अच्छी बात है लेकिन अब इन्हीं लोगों ने मामले को मीडिया वर्सेस कंगना बना दिया है। इन लोगों ने अब 200 से 300 लोगों को को अपने साथ जोड़ लिया है और मेरे प्रड्यूसर पर प्रेशर है क्योंकि अब वे मेरी फिल्म को कवर नहीं करेंगे। अगर वे मुझे बैन करेंगे तो मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उन्होंने लोगों को मेरे खिलाफ कर दिया है और उनका कहना है कि यह हमारे (मीडिया) वेलफेयर के लिए है तो अब वे काफी संख्या में हैं तो सोच रहे हैं कि यह उनके वेलफेयर के लिए है। हालांकि, गिल्ड का उद्देश्य मेरे खिलाफ होना ही है। वे जर्नलिज्म की भलाई के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।