नई दिल्ली । कर्नाटक में शनिवार को बहुमत परीक्षण से ठीक पहले जब महज दो दिन पहले येदियुरप्पा ने इस्तीफा दिया तो इससे बीजेपी की दक्षिण भारत की मुहिम को भी झटका लगा। कांग्रेस और जेडीएस प्लस के गठबंधन ने सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता में काबिज होने से रोक दिया।
Karnataka 2019 in difficult, how the BJP will win 400 seats
कर्नाटक में अब सीएम बनने जा रहे कुमारस्वामी ने कांग्रेस-जेडीएस के इस गठबंधन को देश की धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए एक प्लैटफॉर्म बताते हुए कहा कि इसी वजह से वह सीएम बनने को तैयार हुए। ऐसे में 2019 के चुनावों से ठीक पहले दक्षिण भारत के एक अहम राज्य में बीजेपी की इस हार को उसके मिशन 2019 के लिए झटके के तौर पर भी लिया जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी के मिशन 400 के सामने दक्षिण भारत चुनौती पेश करेगा?
कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल साउथ के 4 राज्यों में बीजेपी सत्ता में नहीं है। दक्षिण के 5 राज्यों में से केवल कर्नाटक ही ऐसा सूबा है जहां से 2014 में बीजेपी को अच्छी जीत मिली (28 में से 17 सीटें) थी। यूनाइटेड आंध्र प्रदेश में बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी और उसका वोट शेयर 8.5 फीसदी रहा था। हालांकि 4 सालों में यहां की राजनीतिक तस्वीर काफी बदल चुकी है। आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं। तब से वह बीजेपी को लेकर काफी आक्रामक भी हैं। उन्होंने कर्नाटक की तेलुगु जनता को बीजेपी के खिलाफ वोट करने की अपील भी की थी।
आंध्र प्रदेश: क्या बीजेपी के लिए मुश्किलें?
क्या नायडू की तेलुगु देशम पार्टी बीजेपी के खिलाफ अन्य पार्टियों को एकजुट करेगी? आंध्र के एमएलसी केशव का कहना है कि 2019 के गठबंधनों के लिए भी बात करना जल्दबाजी होगी (आंध्र में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होंगे)। केशव का कहना है कि आंध्र में टीडीपी के लिए बीजेपी कोई खतरा नहीं है कि क्योंकि उसका राजनीतिक आधार नहीं है।
बीजेपी नेता राम माधव का ट्वीट भी इस लिहाज से अहम है। उन्होंने लिखा कि कर्नाटक में टीडीपी और चंद्रबाबू नायडू ने तेलुगु वोटर्स को बीजेपी का सपॉर्ट करने से रोकने के लिए सारे प्रयास किए। लेकिन हैदराबाद कर्नाटक जहां ज्यादातर तेलुगु लोग रहते हैं, बीजेपी ने अपनी सीटों की संख्या 6 से बढ़ाकर 20 की है। राम माधव ने लिखा कि दक्षिण की ओर बीजेपी का मार्च शुरू हो गया है।