आप में नहीं थम रही आंतरिक कलह, नेताओं को एकजुट रखने में असफल रहे केजरीवाल

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नई दिल्ली: अपने गठन के दिनों से ही देश में एक नई तरह की राजनीति की नींव रखने वाली आम आदमी पार्टी कई सारी आंतरिक चीजों से जूझ रही है. बीते कुछ समय से आम आदमी पार्टी के भीतर चल रही सियासी खींचतान पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि पार्टी के भीतर काफी उठा पटक है और वह अपने ही लोगों से जूझ रही है.
Kejriwal fails to stay united in internal conflict, keep leaders united
एक के बाद एक आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफों से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पार्टी को एकजुट रख पाने में असफल साबित हुए हैं. दरअसल, बुधवार को आप नेता आशीष खेतान की भी इस्तीफे की खबर आई. इससे पहले पत्रकार से नेता बने आशुतोष ने भी इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हो गया कि आशीष खेतान ने आशुतोष के साथ ही 15 अगस्त को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और अब वह लीगल प्रैक्टिस पर ध्यान दे रहे हैं. आशीष खेतान ने ट्वीट कर स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल वह सक्रिय राजनीति से किनारा ले रहे हैं.

दरअसल, बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी कार्यप्रणाली से नाराज रहने वाले आप नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त रही है. यही वजह है कि समय-समय पर आम आदमी पार्टी से नेताओं के अलग होने का सिलसिला जारी है. आम आदमी पार्टी की स्थिति अभी कुछ ऐसी है कि या तो पार्टी के नेता खुद से इस्तीफा दे रहे हैं या फिर उन्हें खुद पार्टी की ओर से बर्खास्त कर दिया जा रहा है.

आम आदमी पार्टी जिन दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में अस्तित्व में आई थी, अगर आज के वक्त में इस पर नजर दौड़ाएं तो पार्टी ऐसे दिग्गज नेताओं की अनुपस्थिति में अनुभवविहीन और कमजोर नजर आती है. चुनावों में भले ही आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हों, मगर संगठनात्मक तौर पर पार्टी कमजोर ही नजर आती रही है.

यानी योगेंद्र यादव, प्रशांत किशोर और प्रो. आनंद कुमार सरीखे कई ऐसे दिग्गज नेताओं को पार्टी से अलग होना पड़ा या फिर इन्हें किनारा कर दिया गया, जो कभी आम आदमी पार्टी की आत्मा माने जाते रहे हैं. आम आदमी पार्टी से सिर्फ नेता नाता ही नहीं तोड़ रहे हैं, बल्कि कुछ को तो बर्खास्त भी किया गया है.

बीते दिनों पार्टी के अहम नेता माने जाने वाले आशुतोष ने इस्तीफा दे दिया. हालांकि, आशुतोष ने इस्तीफे को निजी वजह बताया. उसके बाद आशीष खेतान ने भी आम आदमी पार्टी को बाय-बाय कह दिया. दरअसल, बीते कुछ सालों में आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जिनमें कपिल मिश्रा, संदीप कुमार, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार आदि शामिल हैं.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सत्ता की कुर्सी पर बैठे, मगर साल 2015 में अप्रैल महीने में आम आदमी पार्टी ने योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार और अजीत झा आदी पार्टी से अलग हो गये. आम आदमी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया. हालांकि, बाद में योगेंद्र यादव ने स्वराज इंडिया की स्थापना की. 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के दो बड़े चेहरों योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाल दिया गया. बताया गया कि दोनों ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी का मुद्दा उठाया था.