किसान कर्ज माफी के बाद सरकार का खजाना खाली, सरकारी विभागों में वेतन का संकट

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भोपाल। मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार ने किसानों की कर्ज माफी तो कर दी है, लेकिन कर्जमाफी के बाद सरकार का खजाना खाली हो गया है। खाली खजाने का सीधा असर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों पर पड़ रहा है। प्रदेश के कई सरकारी विभागों में इन दिनों वेतन का टोटा हो गया है। बजट खत्म होने के कारण गैस राहत अस्पताल में पदस्थ 25 चिकित्सकों को तीन माह से वेतन नहीं मिला तो वहीं प्रदेश के 14 हजार होमगार्ड भी अब अपने वेतन का इंतजार ही कर रहे हैं। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को भी सरकार की तरफ से मिलने वाली ग्रांट रुक गई है।
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कमल नाथ सरकार चुनाव के दौरान किए गए अपने वादों को पूरा करने में व्यस्त है, लेकिन सरकार के ही कारिंदे अब मासिक वेतन के लिए परेशान हो रहे हैं। कई विभागों के कर्मचारियों की तनख्वाह एक, दो नहीं बल्कि तीन-तीन माह से नहीं आ रही है। मामले में भाजपा सांसद आलोक संजर का कहना है कि सरकार में आना तो आसान है, लेकिन सरकार चलाना कठिन है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो शिवराज सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाए, लेकिन प्रदेश में कभी वेतन नहीं मिलने का मामला सामने नहीं आया। उन्होंन कहा कि कांग्रेस रूहाने सपने दिखाकर सत्ता में तो आ गई है, लेकिन इन्हें सरकार चलाना नहीं आता।

मध्यप्रदेश में चिकित्सकों और होमगार्ड के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स के वेतन, 45 अतिथि शिक्षकों और 110 कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल पा रहा है। वेतन न मिलने से परेशान कर्मचारी कई बार अपने विभागों औरर संचालकों को ज्ञापन भी दे चुके हैं। वेतन नहीं मिलने के पीछे बजट नहीं होने की वजह बताई जा रही है। कमलनाथ सरकार में अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने पर भाजपा सरकार ने कांग्रेस पर जमकर तंज कस रही है।