पंकज शुक्ला
राष्ट्रीय स्तर पर अपना अध्यक्ष चुनने की धुंध में फंसी कांग्रेस अब प्रदेश में अध्यक्ष चयन की कसरत कर रही है। अलग-अलग नेताओं के समर्थन में अलग-अलग तरह की बिसातें बिछाई जा रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मप्र की युवा कांग्रेस इन दिनों कर क्या रही है? पता चला है कि युवा कांग्रेस गांधी के बहाने प्रदेश में युवाओं से संवाद की श्रृंखला आरंभ करने की तैयारी में है। संभव है कुहांसे के इस दौर में ऐसी ही श्रृंखलाएं युवाओं के बीच पैठ का माध्यम बने। यह सक्रियता आवश्यक है क्योंकि भाजपा युवा मोर्चा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए अपने युवा नेताओं की टीम मैदान में उतार दी है। ये युवा नेता पार्टी के दिग्गज नेताओं के पुत्र हैं।
2013 से युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी का वर्तमान परिचय कालापीपल क्षेत्र के विधायक के रूप में है। उनकी राजनीतिक सक्रियता की दिशा बदली है। वर्ना कांग्रेस के सत्ता में आने के पहले तक भाजपा सरकार के खिलाफ संघर्ष में युवा कांग्रेस के वे प्रतिनिधि चेहरा हुआ करते थे। युवा के कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जीतू पटवारी को पार्टी ने 2013 में टिकट दिया था अब 2018 में कुणाल चौधरी को भी टिकट मिला। टिकट वितरण में युवाओं का प्रतिनिधित्व भले कम है मगर ये युवा नेता मुख्य धारा की राजनीति में सक्रिय पहचान बनाए हुए हैं। ऐसे में कुणाल पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है कि वे विधानसभा क्षेत्र के साथ ही युवा कांग्रेस की गतिविधियों पर भी ध्यान दें। अन्यथा तो युवा कांग्रेस का आधार क्षीण होना तय है।
पार्टी और युवा कांग्रेस संगठन के इस संधिकाल में युवा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी गांधी दर्शन के बहाने युवाओं तक पहुंचने की तैयारी में हैं। वे प्रदेश में एक दर्जन स्थानों पर युवाओं से संवाद की योजना बना रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जन्मदिवस पर आयोजित इस समारोह में गांधी जी के सिद्धांतों का पालन करने की शपथ दिलाई जायेगी। इस अवसर पर गाँधी के जीवन दर्शन पर चर्चा भी होगी। योजना है कि प्रदेश के विविध अंचलों में इस संवाद के बहाने युवाओं को कांग्रेस से जोड़ा जा सकेगा। युवा संपर्क की इसी श्रृंखला में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने हाल ही में आम चेहरे चंचलेश व्यास को युवा कांग्रेस आईटी सेल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
युवा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी के नेतृत्व में चंचलेश और अन्य आम युवा चेहरों की सक्रियता से उलट भाजपा युवा मोर्चा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के विरुद्ध व्यापक आंदोलन के लिए समिति का गठन किया है उसमें दिग्गज नेताओं के पुत्रों को कमान दी गई है। एक तरह से यह बड़े नेताओं के सहारे आम युवाओं तक पहुंचने और उन्हें लामबंद करने की कवायद है। विरोधी दल भाजपा की इस संगठन क्षमता के मुकाबले युवा कांग्रेस को अधिक प्रयत्नपूर्वक आम युवाओं के बीच पहुंच कर उन्हें अपने साथ बनाए रखना होगा। दोनों ही पार्टियों का नेतृत्व तो अपने लिहाज और दृष्टि से युवाओं तक पहुंच रहा है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और भाजपा के युवा संगठन किस तरह अपनी जमीन मजबूत करते हैं।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है