ब्रिगेडियर लिड्डर को अंतिम विदाई: , आखिरी बार घर पहुंचे जनरल रावत, गृह मंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

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TIO NEW DELHI

तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में CDS जनरल बिपिन रावत के साथ जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर एल.एस. लिड्डर का दिल्ली कैंट के बराड़ स्क्वायर में अंतिम संस्कार कर दिया गया। देश के इस जांबाज सिपाही के अंतिम संस्कार की तस्वीरें जिसने देखीं, अपने आंसू नहीं रोक पाया। अंतिम संस्कार के समय लिड्डर की पत्नी बार-बार उनके ताबूत को चूमकर रोती रहीं। इसके बाद लिड्डर की बेटी ने अपने बहादुर पिता को मुखाग्नि दी। आज सुबह उनके पार्थिव शरीर को आर्मी के बेस अस्पताल से शंकर विहार में उनके आवास ले जाया गया। इसके बाद दिल्ली कैंट के बराड़ स्क्वायर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी पहुंचे। दिल्ली कैंट में ही राजकीय सम्मान के साथ उनका संस्कार किया गया।

CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य अधिकारियों के शव ला रही एक एंबुलेंस का एक्सिडेंट हो गया है। मानो मौत भी सुनिश्चित करना चाहती हो कि उसने देश के अनमोल हीरे को हम सबसे छीन लिया है। अब किसी करिश्मे की उम्मीद बेमानी है।

बिपिन रावत ने इससे पहले दो बार मौत को मात दी थी। पहला हादसा 28 साल पुराना है और दूसरा महज 6 साल पुराना। हम यहां दोनों हादसों को तफ्सील से बता रहे हैं…

पहली घटनाः पाकिस्तानी गोली से टखना चूर हुआ, हौसले मजबूत हुए

1993 में बिपिन रावत 5/11 गोरखा राइफल्स में मेजर के पद पर तैनात थे। 17 मई की बात है। कश्मीर के उरी इलाके में वो अपने कुछ जवानों के साथ गश्त कर रहे थे। उसी दौरान पाकिस्तान ने गोलीबारी शुरू कर दी। बिपिन रावत भी उस गोलीबारी की जद में आ गए।

एक गोली उनके टखने पर लगी और वो चूर हो गया। एक छर्रा उनके दाहिने हाथ पर लगा। वो लहूलुहान होकर वहीं बैठ गए। आनन-फानन उन्हें श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उनका हाथ और टखना तो ठीक कर दिया, लेकिन बिपिन रावत के मन में एक टेंशन घर कर गई थी।

रावत को डर था कि गोली लगने के बाद उन्हें सीनियर कमांड कोर्स में शामिल होने से रोक न दिया जाए। उन्होंने हार नहीं मानी। बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया और एक महीने में ही रिकवर हो गए। इसके बाद उन्हें रेजिमेंट सेंटर लखनऊ में वापस तैनात कर दिया गया। बिपिन रावत को उनकी जांबाजी के लिए सेना का वूंड मेडल दिया गया।

दूसरी घटनाः हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया, बिपिन रावत बच गए

2015 में बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल थे। उनके ऊपर नागालैंड के दीमापुर स्थित 3 कॉर्प्स हेडक्वार्टर की जिम्मेदारी थी। 3 फरवरी 2015 को सुबह 9.30 बजे बिपिन रावत, एक कर्नल और दो पायलट के साथ चीता हेलिकॉप्टर पर सवार हुए। दीमापुर से उड़ान भरने के बाद हेलिकॉप्टर जमीन से 20 फीट ऊपर गया, तभी इंजन फेल हो गया। कुछ सेकेंड में ही वो जमीन पर आ गिरा। उसमें सवार सभी लोगों को चोट आई, लेकिन एक बार फिर बिपिन रावत ने मौत को मात दे दी।

उस समय रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी अमित महाजन ने बताया था कि सेना का ये हेलिकॉप्टर नियमित उड़ान पर था। कोहिमा में रक्षा PRO लेफ्टिनेंट इमरान मुसावी ने बताया था कि इंजन फेल होने की वजह से ये घटना हुई, जिसमें सवार अधिकारियों को मामूली चोट आई है।CDS बिपिन रावत अपनी आखिरी उड़ान पर सुलुर से वेलिंगटन के लिए रवाना हुए थे। उनके साथ पत्नी मधुलिया और 12 अन्य रक्षाकर्मी एयरफोर्स के Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर पर सवार थे। वो वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में लेक्चर देने जा रहे थे। अपने गंतव्य से महज 16 किलोमीटर दूर हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। इस बार मौत ने उन्हें कसकर पकड़ रखा था। भारत ने अपना पहला CDS और एक जांबाज सैन्य अधिकारी खो दिया।

तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में CDS जनरल बिपिन रावत अंतिम संस्कार दिल्ली कैंट में आज शाम 7:15 बजे किया जाएगा। जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का पार्थिव शरीर कारज मार्ग स्थित आवास पर ले जाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने जनरल रावत को उनके आवास पर श्रद्धांजलि दी है।

यहां आम जनता सुबह 11 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक CDS जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दे सकती है। सैन्यकर्मी दोपहर 12:30 से 13:30 बजे के बीच अंतिम विदाई देंगे। इसके बाद पार्थिव शरीर को दिल्ली कैंट बराड़ स्क्वायर में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।

सोशल मीडिया पर कैसे-कैसे कयास लगाए जा रहे?
जनरल रावत एक सुरक्षित और भरोसेमंद हेलिकॉप्टर में उड़ान भर रहे थे। वे भारत के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी थे और एक तय प्रोटोकॉल और कंटिंजेंसी प्लान (आपात स्थिति के लिए योजना) के तहत ही यात्रा करते थे। ऐसे में हेलिकॉप्टर हादसे में उनकी मौत के बाद पहला सवाल लोगों के जेहन में आया- क्या ये हादसा है, क्या इसके पीछे कोई बाहरी ताकत है?

उंगलियां पाकिस्तान की तरफ उठीं। जनरल रावत ने सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान की सिक्योरिटी एजेंसीज को चोट पहुंचाईं थीं। सवाल तैरने लगा कि कहीं इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI तो नहीं। यही नहीं, श्रीलंका के लगभग खत्म हो चुके आतंकवादी संगठन LTTE के स्लीपर सेल का नाम भी एक्सपर्ट्स ने लिया।

जनरल रावत की मौत की तुलना जनवरी 2020 में ताइवान के सेना प्रमुख जनरल शेन यी मिंग की मौत से भी की गई। जनरल मिंग अपने 13 साथियों के साथ हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे। उनकी मौत के समय भी हादसे के पीछे चीन के होने का सवाल उठा था। अब जनरल रावत की मौत के बाद लोग सोशल मीडिया पर जनरल शिंग की मौत का हवाला देते हुए आशंका जाहिर कर रहे हैं कि ‘चीन अपने दुश्मन देशों के शीर्ष मिलिट्री कमांडर का सफाया कर रहा है।’

यही नहीं जनरल रावत की मौत ऐसे समय हुई है जब कुछ दिन पहले ही दुनिया के शक्तिशाली नेता और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत का दौरा किया है। इस यात्रा से भारत रूस रक्षा सहयोग को बल मिला है। भारत ने अमेरिका के विरोध को दरकिनार कर रूस से एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 भी खरीदा है। कुछ लोगों ने आशंका जाहिर की है कि जनरल रावत की मौत के पीछे हथियार लॉबी या ऐसी ताकतें हो सकती हैं जो भारत-रूस को दूर करना चाहती हैं।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत के रक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेल्लानी का एक ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है, ‘ये विचार ऐसा है जैसे क्रैश के पीछे अमेरिका की भूमिका पर संदेह करना क्योंकि भारत और रूस एस-400 की डिलीवरी पर आगे बढ़ रहे हैं और अमेरिका इसका पुरजोर विरोध कर रहा है।’

ब्रह्म चेल्लानी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘जनरल रावत की मौत और 2020 में हेलिकॉप्टर हादसे में कई समानताएं हैं। इस क्रैश में ताइवान के सेना प्रमुख जनरल शेन यी मिंग और सात अन्य जनरलों की मौत हो गई थी। इन दोनों ही हेलिकॉप्टर हादसों में चीन के आक्रामक रवैये का विरोध कर रहे अहम लोगों की मौत हो गई।’

कुछ लोग जनरल रावत की मौत को साइबर वॉरफेयर से भी जोड़ कर देख रहे हैं। आशंका जाहिर की जा रही है कि जनरल रावत के हेलिकॉप्टर को साइबर हमले का निशाना बनाया गया होगा।

अगर वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो कॉन्स्पिरेसी थ्योरी की एक वजह ये होती है कि लोगों के पास हादसों से जुड़े पूरे फैक्ट्स नहीं होते। जो जानकारी उनके सामने होती है, उसी के आधार पर वो धारणा बनाते हैं और उसी दिशा में सोचने लगते हैं।

जैसे जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद लोगों के जेहन में पहला सवाल यही आया कि इतना उन्नत हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार कैसे हो गया? क्या इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं है। चीन या पाकिस्तान ने तो भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा नहीं किया है

वहीं मनौविज्ञान के एकस्पर्ट्स मानते हैं कि इसके पीछे फियर साइकोसिस और सर्वाइवल इंस्टिंक्ट भी काम करता है। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवयिरल साइंसेज के प्रमुख डॉ. समीर मल्होत्रा कहते हैं, ‘जब भी कभी हमारी सिक्योरिटी को किसी भी तरह का खतरा होता है, हम असुरक्षित महसूस करते हैं। हर इंसान में बचने की और जीने की एक चाह होती है। हम दिन भर जिंदा रहने की कोशिश भी करते हैं। इसे सर्वाइवल इंस्टिंक्ट कहते हैं।

जब इस पर कोई सवाल उठता है तो हम डरने लगते हैं, असुरक्षित महसूस करते हैं। इस असुरक्षा के चलते दिमाग में डोपेमीन नाम का केमिकल बढ़ने लगता है। हमारे दिमाग में ऐसे कई एरियाज हैं जहां डोपेमीन का बढ़ना देखा गया है। जब ऐसा होता है तो हम शक करने लगते हैं। ज्यादा सतर्क भी हो जाते हैं।’

वहीं मेंटल हेल्थ पर काम कर रहीं और हेल्थी माइंड की संस्थापक डॉ. मलीहा हाशम साबले कहती हैं कि जब कोई बड़ा हादसा होता है तो उसके पीछे के कारण तलाशने के लिए हमारा दिमाग कॉन्स्पिरेसी थ्योरी गढ़ लेता है। वो मानती हैं कि कई बार लोग सांटिफिक एविडेंस होने के बावजूद कांस्पीरेसी थ्योरी गढ़ लेते हैं।

मलीहा कहती हैं, ‘ऐसा नहीं होता है कि सिर्फ बड़े हादसे में ही कॉन्स्पिरेसी थ्योरी बनती हैं। हम मुद्दे पर भी इन्हें बनाते हैं। जैसे बहुत सारे लोग साइंटिफिक एविडेंस होने के बावजूद ये मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन वास्तव में नहीं है। हाल ही में कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन को लेकर भी कॉन्स्पिरेसी थ्योरी आई हैं। यानी, परिस्थिति कुछ भी हो, कुछ ना कुछ कॉन्स्पिरेसी थ्योरी गढ़ ही ली जाती है।’