कोलकाता
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान पहले चरण से ही हिंसक घटनाएं होती आ रही हैं। मंगलवार को अमित शाह के रोड शो में हुए बवाल पर राजनीति अभी थमी भी नहीं थी कि गुरुवार रात टीएमसी से भाजपा में गए नेता मुकुल राय की गाड़ी पर हमले की खबर आ गई। बताया जा रहा है कि कोलकाता से सटे दमदम लोकसभा क्षेत्र के नागर बाजार में भाजपा नेता मुकुल राय की गाड़ी में रात करीब सवा 11 बजे तोड़फोड़ की गई।
भाजपा तृणमूल कांग्रेस समर्थकों पर आरोप लगा रही है, जबकि तृणमूल के नेताओं का कहना है कि इस घटना से उनके पार्टी समर्थकों का कुछ लेना-देना नहीं है। तृणमूल का आरोप है कि भाजपा नेता वहां रुपये बांटने के लिए पहुंचे थे। रात 12 बजे के बाद भारी संख्या में पुलिस व केंद्रीय बल मौके पर पहुंचने के बाद तोड़फोड़ करने वालों को हिरासत में लेकर साथ ले गए।
बंगाल में 800 कंपनी केंद्रीय बलों की तैनाती
पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान होने वाली हिंसक घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने सातवें और अंतिम चरण के चुनाव के लिए 800 कंपनी केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की है। आखिरी चरण में बंगाल की नौ लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही हिंसक घटनाओं पर भाजपा ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की थी। भाजपा का प्रतिनिधि मंडल ने आयोग से इस मसले पर कई मुलाकातें की थी।
बंगाल में बवाल के बाद घटाई गई थी प्रचार की समय सीमा
कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो में हिंसा के 25 घंटे बाद चुनाव आयोग ने बुधवार रात दो बड़े फैसले लिए। आयोग ने पश्चिम बंगाल की नौ लोकसभा सीटों पर तय समय से 19 घंटे पहले यानि कि गुरुवार रात 10 बजे से ही चुनाव प्रचार बंद करने का आदेश दिया। वहीं आयोग ने अधिकारियों का पर भी कार्रवाई की। आयोग ने बंगाल के प्रधान सचिव(गृह) अत्रि भट्टाचार्य को पद से हटाया और सीआईडी के एडीजी राजीव कुमार को भी उनके पद से हटा दिया। ये अधिकारी ममता बनर्जी के ‘खास’ बताए जाते हैं। अफसरों पर गाज गिरने के बाद ममता बनर्जी भड़क गईं और चुनाव आयोग को खूब खरी-खोटी सुनाई।
पश्चिम बंगाल के प्रभारी उप चुनाव आयुक्त ने 13 मई को हालात का जायजा लिया था। उन्होंने रिपोर्ट सौंपी कि चुनाव की तैयारियां तो आयोग के मुताबिक चल रही हैं, लेकिन सभी प्रत्याशियों को प्रचार के लिए बराबर और मतदाताओं को भयमुक्त माहौल देने की बात आती है तो जिला प्रशासन और पुलिस से सहयोग नहीं मिल रहा। ऐसे में चुनाव अफसरों और लोगों में भय का माहौल है। आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 में मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए प्रचार की समय सीमा कम कर दी।