नई दिल्ली
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी 12 विपक्षी नेताओं के साथ शनिवार को श्रीनगर के लिए रवाना हो गए। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार पहली बार विपक्षी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राज्य के दौरे पर जा रहा है। राहुल राज्य के हालात का जायजा लेंगे और स्थानीय नागरिकों से भी मुलाकात करेंगे।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि नेता राज्य का दौरा करने न आएं। उनके आने से शांति व्यवस्था बनाए रखने की कोशिशों में खलल पड़ सकता है। नेताओं को यहां आने से बचना चाहिए। अब तक किसी भी नेता को राज्य के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया है।
माजिद मेमन बोले हमारा मकसद गड़बड़ी करना नहीं
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता माजिद मेममन ने कहा कि हमारा मकसद कहीं जाने और गड़बड़ी पैदा करना नहीं है, हम सरकार के विरोध में नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार के समर्थन में जा रहे हैं ताकि हम भी सुझाव दे सकें कि क्या किया जाना चाहिए।
चीजें सामान्य तो राजनीतिक नेता क्यों हैं नजरबंद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक तरफ सरकार का कहना है कि स्थिति सामान्य है, दूसरी तरफ वे किसी को भी जाने की अनुमति नहीं देते हैं। आजाद ने सवाल उठाया कि अगर चीजें सामान्य हैं तो राजनीतिक नेताओं को नजरबंद क्यों है?
यह विपक्षी नेता जाएंगे कश्मीर
विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, माकपा से सीताराम येचुरी, भाकपा के डी. राजा, डीएमके के टी सिवा, राजद के मनोज झा और तृणमूल से दिनेश त्रिवेदी शामिल होंगे। शुक्रवार देर शाम वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की।
सरकार ने नेताओं को नहीं दी घाटी आने की अनुमति
अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद सरकार ने किसी नेता को कश्मीर घाटी में आने की अनुमति नहीं दी है। पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत क्षेत्रीय दलों के नेता भी नजरबंद हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को दो बार श्रीनगर और जम्मू एयरपोर्ट से वापस लौटाया गया है। डी राजा को भी श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया था।