राफेल से सबक: रूस से सरकार ने कहा, राइफल प्रॉजेक्ट से अडानी ग्रुप को रखें बाहर

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने रूस को सलाह दी है कि यदि उसकी हथियार निर्माता कंपनी क्लाशनिकोव कंसर्न भारत में एके-103 असॉल्ट राइफल्स की मैन्युफैक्चरिंग करना चाहती है तो उसे सरकारी कंपनी से गठजोड़ करना चाहिए। सरकार ने सलाह दी है कि क्लाशनिकोव को भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार द्वारा संचालित आॅर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड से संपर्क करना चाहिए। रूसी कंपनी के इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय फिलहाल विचार कर रहा है।
Lessons from Rafael: Government from Russia said, keep the Adani group out of the rifle project
रक्षा मंत्रालय द्वारा क्लाशनिकोव के अडानी ग्रुप के साथ जॉइंट वेंचर में काम करने के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद सरकार ने रूस को यह सलाह दी है। क्लाशनिकोव ने अडानी ग्रुप के साथ एके-103 राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग का प्रस्ताव दिया था। यह एके-47 राइफल का ही एक प्रतिरूप है। अडानी ग्रुप ने हाल ही में डिफेंस सेक्टर में एंट्री की है। सूत्र ने कहा, ‘यदि रूस गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील चाहता है तो फिर प्राइवेट कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर की बात नहीं की जा सकती।’

राफेल डील पर विवाद से परेशान सरकार असल में प्रस्तावित राइफल मैन्युफैक्चरिंग में किसी तरह के विवाद की आंच नहीं आने देना चाहती। राफेल डील में रिलायंस डिफेंस की हिस्सेदारी को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ के आरोप लगाए थे। इस डील में डिफेंस पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को किनारे कर दिया गया था।

बता दें कि पिछले सप्ताह टाइम्स आॅफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सेना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 12,000 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 लाख राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग कराने की तैयारी में है।