आज मुरैना की गजक पूरे देश में जानी जाती है। मुरैना शहर में ही इस धंधे से जुडी सैंकडा भर दुकानें हैं जिनमें रोज सैकडों किलो तिल और गुड या शक्कर की खपत से गजक बनायी जाती है। कुटीर उदयोग के रूप में फैले इस धंधे में करीब हजार लोग काम करते हैं और तकरीबन इससे दोगुने लोग इसी काम को लेकर पूरे देश में फैले हैं। इस पूरे इलाके में गजक की लोकप्रियता से प्रभावित होकर मुरैना की कलेक्टर प्रियंका दास ही इस गजक मेले के आयोजन में आगे रहीं और अब वो इसे जीआई टेग दिलवाकर इसे अंतरराप्टीय स्तर पर भी मुरैना की गजक की मार्केटिंग करना चाहती है। उनका दावा है आने वाले छह महीने में मुरैना गजक के नाम से जीआइ टेंगिग मिल जायेगी और बाहर के लोग मुरैना गजक के नाम से इसे बेच नहीं पायेंगे वो कहती हैं ये वैसे भी गजक के शौकीनों के साथ धोखा है कि आप कहीं की भी गजक को मुरैना की गजक के नाम से बेचते हैं।
कमल गजक की दुकान पर ही बन रही गजक को जब हम कैसे बनती है येे समझने बैठे तो परिचय हुआ मोहम्मद रउफ से जो सचमुच में बचपन से ही गजक के काम में लगे हैं इसी काम में क्यों जिंदगी गुजार रहे हो तो शर्माते हुये बताया कि छुटपन से ही मीठा पसंद था तो स्कूल आते जाते गजक बनते देखते थे ओर इसे बनाने को ही दुनिया का सबसे बडा काम मानते थे तो बन बैठे गजक बनाने वाले और अब दिन भर गजक बनतो हैं बिना थके। अब ऐसी दीवानगी गजक की रहेगी तो भला कैसे नहीं गजक अच्छी बनेगी। यदि सोचते हुये हमने पूछा तो हमें बताओ भई कि ये मीठी कुरकुरी गजक बनती कैसे हैं। रउफ ने कहा आसान बहुत है मगर बनाना कठिन है पहले शक्कर या गुड की मीठी चासनी बनाकर उसे साफ पत्थर पर फैलाते हैं इसके बाद इस चासनी को सुखा कर खींचते हैं जिससे इसमें लोच आ जाये उधर दूसरी तरफ साफ सफेद महीन तिल को थोडा सा भून कर इसमें मिलाते है ठीक आटे के जैसा गूथते हैं फिर इस चासनी और उसमें मिले गुड को लकडी की कुटनी से अच्छा कूटते हैं जिससे तिल टूट कर मिल जाये और कहावत भी है गजक जितनी कुटेगी उतनी कुरकुरी बनेगी।
अच्छी कूटने के बाद इस जमी हुयी गजक को कटर से काट कर पीस बन जाते हैं और इन कुरकुरे नर्म मुलायम मीठे पीसों को ही गजक कहकर बेचा जाता है। एक जमाने में सिर्फ गुड और ाशक्कर की ही गजक बनती थी मगर अब आलम ये है कि गजक के पचास से ज्यादा रूप दुकानों पर दिखते हैं यदि आपने गजक ही खायी हो तो इनको भी टाय कर सकते हैं जैसे डाय फू्रट वाले गजक रोल, गुझिया गजक, चाकलेट गजक, काजू गजक, सोन गजक, फेनी गजक, समोसा गजक, मावा गजक, लडडू गजक, तिल बरफी, तिल पटटी और भी बहुत सारे नाम हमें पिकी पचौरी ने गिना दिये और सामने के रैक में रखे दिखा भी दिये। हांलाकि बिकती तो गुड और शकर गजक ही है बाकी तो नाम ओर बदलाव के लिये ही हैं।