कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा मध्यप्रदेश

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  1. कमलनाथ सरकार के खजाने की हालत खस्ता, फिर लिया एक हजार करोड़ का कर्ज

TIO भोपाल

प्रदेश के सरकारी खजाने पर कर्ज का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अब लगातार एेसा हो रहा है कि हर माह ही कर्ज लेने की नौबत आ रही है। बजट पेश करने से चार दिन पहले एक बार फिर राज्य सरकार को जरुरी खर्च चलाने के लिये बाजार का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। इस बार भी सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।

राहत की बात यह है कि राज्य सरकार को मिल रहा कर्ज लगातार कम ब्याज दरों पर मिल रहा है। अब प्रदेश को 7.5 फीसदी के आसपास ब्याज दर पर बाजार से लोन मिल रहा है। नये वित्तीय वर्ष में यह लगातार 6वां मौका है, जब कर्ज के लिये बाजार के सामने जाना पड़ा है। वैसे केंद्र सरकार ने जो लिमिट तय की है, उस हिसाब से इस बार राज्य सरकार 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज ले सकती है। इस लिहाज से देखें तो यह वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही है। यह इसलिये कि नये वित्तीय वर्ष के शुरू के 4 माह में सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया है, यह सिलसिला आने वाले दिनों में अभी और बढऩे की संभावना है।

केंद्र से मिलने वाली राशि में 2700 करोड़ की कटौती
यह इसलिए कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से राजस्व बढ़ाने के उपाय तो कर लिए हैं। लेकिन केंद्र से मिलने वाली राशि में लगभग 2700 करोड़ रुपए की कटौती हो रही है। यानी भले ही अपने संसाधनों से प्रदेश का खजाना भरने का इंतजाम कर ले, लेकिन केंद्रीय अंश में कमी से स्थिति जस की तस ही बनी रहेगी।

इस बार दो लाख 33 हजार करोड़ से अधिक का बजट पेश
इधर राज्य सरकार ने इस बार बजट का आकार काफी बढ़ा दिया है। इस बार दो लाख 33 हजार करोड़ रुपए से अधिक का बजट पेश किया है। वहीं पिछले वर्ष तत्कालीन भाजपा सरकार ने भी दो लाख छह हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। यह पहली बार था कि मप्र में विनियोग की कुल राशि दो लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गई थी। लेकिन यह बाद में आंकड़ों की बाजीगरी ही साबित हुई। बाद में जब वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया गया तो पिछले वर्ष की विनियोग की राशि में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमी हो चुकी थी और यह दो लाख करोड़ के भीतर आ गया था। लेकिन इसका फायदा बाजार से लिए जाने वाले कर्ज के दौरान अधिक मिलता है, जब राज्य सरकार बजट का बड़ा आकार बताते हुए उसी अनुपात में कर्ज लेने की राशि तय करा पाती है।

राज्य सरकार पर एक लाख 82 हजार 920 करोड़ से अधिक का कर्ज
केंद्र सरकार ने वित्तीय नियंत्रण के लिए राज्यों की जो सीमा तय की है, उस हिसाब से राज्य जीएसडीपी का अधिकतम 3.5 फीसदी तक ही कर्ज ले सकते हैं। मप्र के लिये राहत की बात यह है कि उसकी कर्ज की सीमा ने नियंत्रण रेखा को पार नहीं किया है। वैसे राज्य सरकार ने कर्ज लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के सामने अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है, उस हिसाब से 31 मार्च 2019 की स्थिति में राज्य सरकार पर एक लाख 82 हजार 920 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है।