मालवा-निवाड़ तय करेगा राजनेताओं का भविष्य, भाजपा ने पकड़ मजबूत करने लगाया जोर, कांग्रेस भी सेंधमारी की कोशिश में

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों का मतदान मालवा-निमाड़ अंचल के कई वरिष्ठ राजनेताओं का सियासी भविष्य भी तय करेगा। सत्ता की चाबी कहे जाने वाले इस क्षेत्र में बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बरकरार रखने के लिए पूरा जोर लगाया है, तो कांग्रेस ने पिछले 15 साल से सत्तारूढ़ दल के गढ़ में सेंध लगाने की भरसक कोशिश की है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेता अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के नेता पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं। लिहाजा, किसी भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए 116 सीटें हासिल करनी होंगी।
Malwa-Niwad will decide the future of politicians, the BJP has imposed a strong emphasis on strengthening the grip, the Congress too trying to burst
कांग्रेस का मानना है कि उसने मालवा क्षेत्र में सेंध लगाई है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि अगर वे इस इलाके में बीजेपी की सीटें आधी करने में कामयाब रहे तो उन्हें सरकार बनाने में कोई मुश्किल नहीं होगी। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने बताया, किसानों का कर्ज माफ करने और युवाओं को रोजगार देने के हमारे वादे से जनता काफी प्रभावित हुई है और हम अपने पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब रहे। राज्य का दिल माने जाने वाले मालवा और मध्य क्षेत्र में 86 सीटें हैं। यहीं कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को सत्ता हासिल करने के लिए उज्जैन, इंदौर और भोपाल समेत 10 जिलों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। 2013 में कांग्रेस ने मालवा और सेंट्रल रीजन की 86 सीटों में से अब तक की सबसे कम सिर्फ 10 जीती थीं। इससे पहले राज्य के इस मध्य भाग से उसने 30 सीटें हासिल की थीं।

इन दोनों क्षेत्रों में बीजेपी ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए 50 फीसदी से अधिक वोट पर कब्जा किया था। मालवा रीजन की 50 सीटों में से 45 पर बीजेपी का कब्जा है। कांग्रेस के हिस्से में 39 फीसदी वोट के साथ सिर्फ 4 सीटें आईं। कांग्रेस ने 2008 में यहां 22 सीटें जीती थीं। मध्य क्षेत्र की 36 सीटों पर हुई कुल वोटिंग के 52 फीसदी पर कब्जा कर बीजेपी ने 29 सीटें हासिल कीं थी। राज्य के किसी क्षेत्र में बीजेपी के लिए यह सबसे अधिक वोट प्रतिशत रहा।

उधर, कांग्रेस पार्टी मालवा के अलावा बुंदेलखंड, ग्वालियर-भिंड-मुरैना सर्किट और छिंदवाड़ा में जनाधार बढ़ने की उम्मीद कर रही है। 2013 में बीजेपी ने इन इलाकों में 29 में से 23 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस को महज 6 सीटें मिली थीं। हालांकि, कांग्रेस इस बार इन आंकड़ों के उलटने की उम्मीद कर रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में काफी मेहनत की है और पार्टी को लग रहा है कि इन दोनों के अच्छे कामों की बदौलत वह विरोधी दल का सूपड़ा साफ कर देगी। वहीं, बीजेपी को कांग्रेस के साथ ही बागी फैक्टर से झटका लगने की उम्मीद है। यह फैक्टर कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। कांग्रेस को भरोसा है कि इसकी बदौलत वह उन क्षेत्रों में अपना परचम लहराने में कामयाब होगी, जो बीजेपी के गढ़ माने जाते थे।