शशी कुमार केसवानी
चुनाव का विश्लेषण
मध्य प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव के लिए कार्यक्रम का ऐलान भी नहीं हुआ है कि सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे कर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते समेत दिग्गजों को भी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया है लेकिन सीएम शिवराज की उम्मीदवारी को लेकर सस्पेंस है। सीएम शिवराज की उम्मीदवारी पर ही नहीं, अब तो बीजेपी के सत्ता में आने पर सरकार की तस्वीर क्या होगी? इसे लेकर भी सस्पेंस गहराता जा रहा है। दरअसल, बीजेपी की तरफ से जो संकेत आ रहे हैं, उन्हें सीएम शिवराज के लिए शुभ नहीं माना जा रहा। पिछले कुछ दिनों से सीएम शिवराज भी विदाई के संकेत दे रहे हैं। संकेत की सियासत के बीच अब कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया है।
इंदौर-1 विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि केवल विधायक बनने नहीं आया हूं, पार्टी बड़ी जवाबदेही देगी। विजयवर्गीय के इस बयान से अटकलें लगने लगी हैं कि क्या बीजेपी नेतृत्व ने शिवराज को विदाई का सिग्नल दे दिया है? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि विजयवर्गीय जिस बड़ी जवाबदेही की बात कर रहे हैं, क्या वह मुख्यमंत्री की कुर्सी है या बस चुनाव लड़ने की अनिच्छा के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश? इसकी चर्चा से पहले ये जान लेना जरूरी है कि शिवराज विदाई के संकेत कैसे दे रहे थे और कैलाश विजयवर्गीय ने क्या बयान दिया है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान चुनाव से पहले हुई कैबिनेट मीटिंग से लेकर जनसभाओं तक में भावुक नजर आ रहे हैं। शिवराज ने कैबिनेट मीटिंग में सभी मंत्रियों के साथ ही अधिकारियों का भी धन्यवाद किया था। शिवराज एक अक्टूबर को अपने गृह जिले सीहोर में एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसा भैया दोबारा तुम्हें नहीं मिलेगा। जब जाऊंगा तब याद आऊंगा। शिवराज ने दो दिन पहले ही अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी में एक कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों से पूछा कि चुनाव लड़ूं या नहीं?
यहां से लड़ूं कि नहीं? इस विधानसभा क्षेत्र के काम अफसर भी नहीं रोक पाएंगे। विजयवर्गीय का ये बयान अहम माना जा रहा है क्योंकि वे सीएम पद की रेस में शामिल माने जाते रहे हैं। और उनके ताजा बयान से इंदौर में रहे कई अधिकारियों को चेतावनी भी दी है कि अगर मैं सत्ता में आया तो तुम्हें तुम्हारी हैसियत का आभास भी करा दूंगा। वहीं अपने बेटे के लिए टिकट की उम्मीद लगाए विजयवर्गीय के बिगड़े बोल अपनी ही पार्टी के लोगों को निशाना बना रहे है। चंद दिनों तक पहले तक निराशा से भरे विजयवर्गीय अचानक जोश में कैसे आ गया। वहीं प्रहलाद के भी सुर तीखे होते जा रहे है। उन्होंने भी अपने सीएम का दावेदार होने का इशारों में कहा है। प्रहलाद पटेल ने दमोह हत्याकांड पर भी शिवराज सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों को समय आने पर जवाब जरूर दूंगा। पर मेरे को नहीं लगता कि शिवराज कटोरी में सजाकर किसी को सीएम का पद दे देंगे। साथ ही साथ 18 साल सीएम रहने का आभास भी केंद्र सरकार को कराएंगे। मप्र से ही देश की राजनीति तय होगी कि आने वाले लोकसभा में केंद्र सरकार किस तरह रहेगी और यह मास्टर स्ट्रोक शिवराज को खेलना बहुत अच्छी तरह आता है।