सीडीएस रावत की शहादत साजिश या…

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राघवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

राष्ट्र के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की शहादत से देश ने एक सेनापति खो दिया। सीडीएस रावत और उनकी जीवन संगनी मधुलिका सिंह के साथ 12 जांबाज को लेकर जा रहा हेलीकाप्टर एम आई 17 के सहज रूप से दुर्घटनाग्रस्त होने की बात शायद किसी भी हिंदुस्तानी के गले नही उतर रही है। इस हादसे में सिहिर जिले के धामन्दा का एक जांबाज जितेंद्र वर्मा भी शहीद हुए हैं। बेहद दुख और शहादत के कारण गर्व के माहौल में रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भारी जन समुदाय की मौजदगी में उनकी अंत्येष्टि हुई है। इसकी जांच हो रही है और उसकी रिपोर्ट आने तक कुछ भी कहना उचित नही होगा। मगर आमजन से लेकर सैन्य हलकों में बड़ी साजिश की आशंका से इनकार नही किया जा रहा है। रूस की एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 को खरीदने से लेकर इंडियन फोर्स के आधुनिकीकरण के प्रबल समर्थक सीडीएस रावत सेना को अमेरिका जैसे मुल्क के बराबर में लाना चाहते थे।
वैसे तो भारतीय सेना दुनिया की सर्व श्रेष्ठ सेना में शुमार है। लेकिन आज़ादी के तुरंत बाद से अब तक जनरल केएम करिअप्पा और फील्ड मार्शल जनरल सैम होरमुजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ ने भारतीय सेना का नाम रोशन किया। दोनों ने आज़ादी के पहले सेकेंड वर्ल्डवार में अकल्पनीय शौर्य का परिचय दिया था। इनके बाद भारतीय सेनाध्यक्ष एक से बढ़कर एक हुए हैं और उन्होंने अपने पराक्रम और बुद्धिमत्ता के बल दुश्मनों अपना लोहा मनवाया।
ऐसे ही कारगिल युद्ध से लेकर गलवान घाटी और उसके बाद चीन पाकिस्तान को कदम दर कदम सामरिक व युद्ध कौशल में मत देने वाले जनरल रावत को कारगिल युद्ध के बाद सैन्य चतुराई और आधुनिकता के लिए मोदी सरकार ने सीडीएस के पद से नवाजा। जनरल मध्यप्रदेश के दामाद भी थे। शहडोल की रियासत सोहागपुर कुँवर मृगेन्द्र सिंह की बेटी मधुलिका सिंह से उनका विवाह हुआ था। मध्य प्रदेश ने अपनी बेटी और दामाद दोनों को खोया है। इस नाते प्रदेश का दुख और भी ज़्यादा है। एक हवाई हादसे को मात देने पर उन्होंने प्रधान मंत्री से कहा था पहाड़ी जवान है ,इतनी जल्दी मरने वाले नही है। वे यह भी कहते थे लेकिन हमपर गोली चली तो फिर गोलियों की गिनती भी नही करेंगे।
सीडीएस नियुक्ति की मांग कई बार हो चुकी है. सबसे पहले 1999 में करगिल युद्ध में यह मांग उठी थी। सीडीएस की नियुक्ति का मकसद ये है कि तीनों सेनाओं को आपस में समन्वय और बेहतर हो सके, ताकि युद्ध जैसे हालात में बेहतर रणनीति बनाकर तीनों सेनाओं को इस्तेमाल किया जा सका।
असल में यह पोस्ट है जिस पर तैनात शख्स सीधे सरकार को सेना के बारे में सलाह देगा। वह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों से ही जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह दे सकेगा। इस तरह हमारी तीनों सेनाएं एक दूसरे से इंटीग्रेटेड होंगी. इस पद पर किसी फाइव स्टार मिलिट्री ऑफिसर की तैनाती होगी।
सीडीएस की जरूरत क्यों थी
सीडीएस की जरूरत इसलिए थी क्योंकि लंबे समय से महसूस किया जा रहा था कि सेना की एक प्रोफेशनल बॉडी हो जो तीनों सेनाओं के बीच की कड़ी की तरह काम करे और तीनों से जुड़े किसी भी मामले पर सीधे सरकार से सलाह-मशवरा कर सके।


पूरे मंडल ही गठित नही
प्रदेश भाजपा संगठन में भाजपा व मोर्चो के सभी जिलों व मंडल का गठन नही हुआ है ऐसे मंडल स्तर पर बैठक और सम्मेलन कैसे हो पाएंगे ? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अलबत्ता इस काम को करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर टीम का गठन नही हो पाना सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा है। रविवार को 1070 मण्डलों में कार्यसमिति व बूथ विस्तारक योजना के कार्यक्रम किए गए।