भाजपा की धु्रवीकरण चाल और दलित प्रेम से सतर्क हुर्इं मायावती, काट ढूंढने में जुटीं

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नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस बार मायावती के एजेंडे में सबसे ऊपर होगा, क्योंकि भाजपा की ध्रुवीकरण चाल और उसके बढ़ते दलित प्रेम से वह पूरी तरह सतर्क हो गई हैं.
Mayawati, alerted to BJP’s poltical movements and Dalit love, is engaged in finding a bite
बसपा प्रमुख ने भाजपा के इस एजेंडे की धार को भांपने के लिए ही पार्टी पदाधिकारियों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ग्राउंड रिपोर्ट पेश करने को कहा है. बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी ने सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर फोकस किया है. पार्टी यहां पर एक सितंबर से अपनी टीम भेजकर ग्राउंड रिपोर्ट लेगी. बसपा के सूत्र ने बताया, “बसपा प्रदेश अध्यक्ष हर मंडल में दो दिन बिताकर मौजूदा माहौल की थाह लेंगे. इसके साथ ही वह संगठन के लोगों से खुली चर्चा कर भाजपा की रणनीति की काट के लिए खाका तैयार करेंगे.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा का मसकद दलित, मुस्लिम और पिछड़ों को साधने पर रहेगा”. सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष आर.एस. कुशवाहा ने मेरठ में बूथ स्तर की मजबूती परखने के लिए डेरा डाला था. अब वह उत्तर प्रदेश के हर मंडल में हर जिले में दो-दो दिन रुकेंगे. उनका काम दलितों को जोड़ने के भाजपा के लगातार प्रयास को काटने का उपाय खोजना है.

पार्टी की ओर से तय कार्यक्रम के मुताबिक, कुशवाहा एक व दो सितंबर को आगरा मंडल में रहेंगे. इसके बाद तीन व चार सितंबर को अलीगढ़, छह व सात को बरेली मंडल और आठ व नौ मंडल को मुरादाबाद मंडल के जिलों में भाजपा की मजबूती व कमजोरी की खोज करेंगे. कुशवाहा इसके बाद 13 व 14 सितंबर को सहारनपुर मंडल तथा 15 और 16 सितंबर को मेरठ मंडल में रहेंगे. दोनों दिन बूथ और सेक्टर स्तर तक के कार्यकर्ता से वार्ता करेंगे. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष इसके बाद 17 से 29 सितंबर तक पूर्वी उत्तर प्रदेश का रुख करेंगे.

यहां उनका दौरा आजमगढ़, वाराणसी व मिजार्पुर मंडल का रहेगा. इसी दौरान कानपुर, झांसी तथा चित्रकूट मंडल में भी वह कार्यकतार्ओं से मिलेंगे। वहां पर भी वह चुनावी तैयारियों की थाह लेंगे. गौरतलब है कि मायावती का सियासी सफर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ था. उन्होंने पहला चुनाव 1984 में कैराना से लड़ा था. वर्ष 1985 में वह बिजनौर लोकसभा सीट के उपचुनाव व 1987 में हरिद्वार (अविभाजित यूपी) से उपचुनाव लड़ी थीं और हार गई थीं. बाद में मायावती वर्ष 1989 में बिजनौर से सांसद बनीं. वर्ष 1996 और 2002 में वह सहारनपुर की हरौड़ा (सहारनपुर देहात) सीट से विधायक बनीं. वर्ष 2007 में बसपा के सबसे ज्यादा विधायक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही जीते थे.