छत्तीसगढ़ में जोगी के साथ गठबंधन कर मायावती ने महागठबंधन को दिया तगड़ा झटका

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लखनऊ। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के विरोधी अजीत जोगी के साथ बीएसपी के गठबंधन ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए संभावित महागठबंधन को तगड़ा झटका दिया है। वहीं मध्य प्रदेश में भी बीएसपी ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए 22 उम्मीदवार उतार दिए हैं। ऐसे में अब कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव और मध्य प्रदेश और राजस्थान में सीटों को लेकर बीएसपी की शर्तें मानने का दबाव भी बढ़ गया है।
Mayawati combines alliance with Jogi in Chhattisgarh, gives strong blow to the alliance
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस नए दांव से बीजेपी को फायदा मिलता दिख रहा है और कांग्रेस के साथ करीबी लड़ाई में आगे बढ़ने का मौका मिल गया है जहां चुनाव होने में कुछ ही समय बचे हैं। बीएसपी मुखिया ने मध्य प्रदेश में 22 उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी की है जिसे कांग्रेस, बीएसपी के अकेले चुनाव लड़ने के इतर सीटों पर सौदा की योजना का संकेत मान रही है।

बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस पर सीटों के बंटवारे को लेकर बीएसपी मुखिया का दबाव बनाना इस बात का भी संकेत है कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन सीटों के सौदे पर ही निर्भर रहेगा। मध्यप्रदेश में मायावती कांग्रेस के साथ जाएंगी या नहीं यह अभी तय नहींं है लेकिन दोनों पड़ोसी राज्यों में बीएसपी की घोषणा मायावती के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सीटों के लिए सख्त सौदा करने की प्रबल इच्छा को दिखाता है।

मध्यप्रदेश में बीएसपी के जनरल सेक्रेटरी इनचार्ज रामाचल राजभर बताते हैं कि मायावती ने प्रदेश में सभी 230 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया है। वह कहते हैं, ‘बीएसपी ने 22 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं और बचे हुए 208 उम्मदीवारों की घोषणा 5 अक्टूबर से पहले की जाएगी।’

अजीत जोगी के साथ गठबंधन को कैसे आखिरी वक्त तक सीक्रेट रखा गया?
छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ मायावती के गठबंधन की घोषणा ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों और उनके भविष्य के साथियों को झटका जरूर दिया है लेकिन यह सब बिना किसी वजह के नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि मायावती ने छत्तीसगढ़ की डील को आखिरी समय तक टॉप सीक्रेट बनाए रखा। यही वजह थी कि पिछले कई साल से वीलचेयर के सहारे अजीत जोगी को हवाई या ट्रेन यात्रा न करने की सलाह दी गई थी और उन्हें गुरुवार को दिल्ली के रास्ते सड़क मार्ग से लखनऊ लाया गया।

यहां तक दोनों के बीच गठबंधन मुहरबंद होने के बाद भी कोई प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई। मायावती ने जोगी के साथ अपने गठबंधन के फैसले को सिर्फ एक न्यूज एजेंसी तक ही सीमित रखा और लखनऊ में पत्रकारों को अचानक से डिवलेपमेंट के बारे में तब पता चला जब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री यहां से जा चुके थे।

यूपी में महागठबंधन की गाड़ी हुई डीरेल?
मायावती के इस दांव ने यूपी में अगले साल लोकसभा चुनाव के लिए संभावित महागठबंधन की गाड़ी को भी डीरेल कर दिया है। वहीं इस गठबंधन के एक और सहयोगी आरएलडी ने मायावती को उन्हें संभावित पीएम उम्मीदवार बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मायावती के इस कदम को झटका मानने से इनकार किया है। हालांकि वह यह मानते हैं कि इस कदम ने उन्हें यूपी में उनकी रणनीति पर फिर से विचार करने को मजबूर किया है।

भीम आर्मी के साथ कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि इसके बाद सभी विकल्प खुल गए हैं। अब पार्टी वेस्ट यूपी में भीम आर्मी के साथ लड़ने पर विचार कर रही है जो बीएसपी का एक मजबूत गढ़ माना जा रहा है। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि हमने पश्चिमी यूपी में 65 से अधिक रैलियां और जनसभाओं का प्लान बनाया है जो मुरादाबाद से शुरू होगा।

माया के दांव से एसपी में तनाव के संकेत नहीं
वहीं मायावती के झटके से एसपी कैंप में फिलहाल किसी तनाव के कोई संकेत नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जो हुआ वह कांग्रेस और बीएसपी के बीच मामला है, इसका एसपी-बीएसपी संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, ‘बड़ा सवाल इस वक्त मायावती नहीं बल्कि ऐंटी-बीजेपी गठबंधन कैसे तैयार करे इसे लेकर है। एसपी को समझना चाहिए कि मायावती अब विश्वसनीय साथी नहीं है। वह लगातार दो बार से सत्ता से बाहर हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि उन्हें एनडीए में कैबिनेट सीट तक भी मिल जाती है।’