मेडिकल पॉलिसी में बदलाव, अब डेंटल, इन्फर्टिलिटी जैसे इलाज भी होगे कवर

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नई दिल्ली। आनेवाले दिनों में डेंटल, इन्फर्टिलिटी आदि के इलाज को भी मेडिकल इंश्योरेंस में शामिल किया जाएगा। संबंधित नियम में इंश्योरेंस ऐंड रेग्युलेटरी अथॉरिटी आॅफ इंडिया द्वारा किए गए बदलावों की वजह से संभव हो पाया है। अथॉरिटी ने करीब 10 आइटम्स को ‘आॅप्शनल कवर’ की लिस्ट से हटा दिया है।
Medical policy change, now Dental, infertility treatment will also be covered
इनमें डेंटल, स्टीम सेल, इन्फर्टिलिटी और मनोवैज्ञानिक उपचार मुख्य रूप से शामिल हैं।  ‘आॅप्शनल कवर’ में मुख्यत उस तरीके के रोग शामिल हैं, जो व्यापक स्तर पर मौजूद हैं, लेकिन उनके लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत नहीं आती। जैसे हॉर्मोन रिपलेस थेरपी, मोटापे का इलाज, यौन संचारित रोगों, एचआईवी और ऐड्स आदि। आईआरडीएआई ने सोमवार को इससे जुड़ा नोटिफिकेशन जारी किया।

इंडस्ट्री ऐनालिस्ट और रिसर्चर का कहना है अबतक ये चीजें आॅप्शनल थीं, जिसकी वजह से ज्यादातर बीमा कंपनी इन्हें कवर नहीं करती थीं। अब बीमा कंपनियों के पास मौका है कि वह अपनी स्कीमों को फिर से डिजाइन करके इन चीजों को उनमें शामिल कर लें। बीमा नियामक आनेवाले दिनों में इस मामले पर और जानकारी देगा। इन चीजों को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए नया आॅर्डर भी आ सकता है।

बीमा करवाने में पीछे भारतीय
साल 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लोग हेल्थ बीमा करवाने के प्रति उतने जागरुक नहीं हैं। सिर्फ 43 करोड़ जो कुल जनसंख्या के 34 प्रतिशत हैं, सिर्फ उन्हीं ने किसी न किसी प्रकार का हेल्थ बीमा करवाया हुआ है। ये आंकड़े नैशनल हेल्थ प्रोफाइल 2018 द्वारा जारी किए गए, जिसे सेंट्रल ब्यूरो आॅफ हेल्थ इंटेलिजेंस ने तैयार किया था।

साथ ही यह भी पता चला है कि देश में प्राइवेट बीमा कंपनियों के उदय के बावजूद लोगों का भरोसा सार्वजनिक बीमा कंपनियों पर है। आंकड़ों के मुताबिक, 2016-17 में प्राइवेट बीमा कंपनियों का क्लेम अनुपात 67 प्रतिशत वहीं सार्वजनिक कंपनी का 120 प्रतिशत रहा।