महाबठबंधन में शामिल होना चाहती है मनसे, कांग्रेस को डर कहीं बिदक न जाए हिन्दी भाषी

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मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में साइड कर दी गई राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस), कांग्रेस-एनसीपी के महागठबंधन में शामिल होना चाहती है, लेकिन कांग्रेस को एतराज है। कांग्रेस का मानना है कि पहले से ही बिदके हिंदी भाषी उनसे दूर हो जाएंगे और इसका असर देश के दूसरे राज्यों में भी पड़ेगा। पार्टी हाईकमान कभी नहीं चाहेगा कि कांग्रेस का एमएनएस से किसी भी तरह का संबंध हो।
MNS, Congress wants to join MahaMr coalition
दरअसल, 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन का भविष्य तय करने और सीटों के बंटवारे को लेकर विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटील के निवास स्थान पर एक बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि अगली बैठक में दोनों दल सीटों को लेकर चर्चा करेंगे। कौन किन सीटों पर लड़ेगा। इस पर विस्तार से अध्ययन कर चर्चा करेंगे। बैठक में चर्चा के दौरान एनसीपी के हिंदी भाषी चेहरा नवाब मलिक ने महागठबंधन में एमएनएस को भी शामिल करने पर विचार करने की मांग की, जिसका संजय निरुपम और अन्य नेताओं ने डटकर विरोध किया।

‘राज को साथ लिया तो कांग्रेस को होगा नुकसान’
निरुपम का कहना था कि राज ठाकरे को साथ लिया गया तो मुंबई और आसपास के इलाकों में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि उत्तर भारतीयों के बीच राज ठाकरे की छवि किसी खलनायक से कम नहीं है। इस संबंध में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर भारतीय कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं।

बीते लोकसभा-विधानसभा चुनाव में वे बीजेपी के साथ चले गए पर इस चुनाव में काफी उत्तर भारतीय मतदाता फिर से कांग्रेस की तरफ लौट सकते हैं। ऐसे में यदि राज ठाकरे को साथ लिया गया तो उत्तर भारतीय फिर से नाराज हो जाएंगे और इसका बीजेपी को लाभ होगा।