सवर्ण आरक्षण के बाद चुनाव से पहले ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट तैयार करने में जुटी मोदी सरकार

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नई दिल्ली। आर्थिक आधार पर सामान्य आरक्षण के बाद मोदी सरकार एक बार फिर ओबीसी की हिस्सेदारी को नए सिरे से तय करने के लिए सक्रिय हो रही है। सरकार चुनाव से पहले ओबीसी कमिशन की रिपोर्ट तैयार कर पेश करने की तैयारी में है। इसके लिए सभी मंत्रालयों से उनके यहां काम करने वाले वाले ओबीसी कर्मचारियों की संख्या (उनकी जातियों के साथ) उपलब्ध कराने को कहा गया है।
Modi government in preparing report of OBC commission before the elections after the general reservation
पार्टमेंट आॅफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) की ओर से 12 जनवरी को भेजे खास निर्देश में हर हाल में शुक्रवार तक ओबीसी कर्मचारियों की लिस्ट मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार सरकार अपने अंतिम सत्र में कमिशन की रिपोर्ट रख सकती है। आपको बता दें कि 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र प्रस्तावित है, जो 13 फरवरी तक चलेगा। सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी प्रतिनिधित्व में बदलाव करेगी और इनकी जातियों का नए सिरे से वर्गीकरण होगा। सरकार की मंशा है कि छोटी-छोटी ओबीसी जातियों को भी इस आरक्षण में समान प्रतिनिधित्व मिले।

सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण से बदली रणनीति?
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों संकेत दिया था कि ओबीसी को अलग-अलग वर्गों में बांटने के मामले में आम चुनाव से पहले कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। मामले की पेचीदगी को देखते हुए सरकार ने इससे जुड़े मसले की जांच और इस बारे में रिपोर्ट देने के लिए गठित कमिटी को 6 महीने का विस्तार दिया था। कमिशन को 31 मई 2019 तक विस्तार की मंजूरी मिल गई थी।

हालांकि सामान्य आरक्षण के समय विपक्ष ने जिस तरह ओबीसी आरक्षण की सीमा को 27 से बढ़ाकर 54 फीसदी तक करने की मांग की, उसके बाद सरकार कमिशन की रिपोर्ट को काउंटर के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। बीजेपी की रणनीति खुद को ओबीसी के सबसे बड़े हितैषी के रूप में पेश करने की है। साथ ही कांग्रेस को इस वर्ग का विरोधी बताते हुए सियासी हमले भी करने हैं।

कमिशन को राज्य सरकार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, विभिन्न सामुदायिक संगठन और पिछड़े वर्गों से जुड़े आम नागरिकों के अलावा इस मसले से संबंधित लोगों से बातकर ओबीसी के बीच अलग कैटिगरी बनानी है। सरकार के मुताबिक, कमिशन ने अब तक कॉलेज सहित सरकारी नौकरी के अलावा बैंक और दूसरे संस्थानों में ओबीसी प्रतिनिधित्व से जुड़ा आंकड़ा जुटाया है।

यूपी के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी पर एक बार फिर हमला बोला है। राजभर ने गुरुवार को कहा, ‘हमने उनको (बीजेपी) 100 दिन का अल्टिमेटम दिया है। 18 दिन हो गए हैं। मेरी कोई व्यक्तिगत मांग नहीं है। पिछड़ी जाति के 27 प्रतिशत आरक्षण में बंटवारे को लेकर एक कमिटी गठित की गई थी। कमिटी ने अक्टूबर में रिपोर्ट भी दे दी। रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास पड़ी हुई है। रिपोर्ट में सिफारिश है कि पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा को आरक्षण का लाभ दिया जाए। इसका लाभ देने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान भी दिया था पर, अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है।’