नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून अपना एजेंडा लागू करने में बाधक लगता है। इसलिए ताजा संशोधन के जरिए सरकार ये तय करना चाहती है कि कोई भी सूचना आयुक्त सरकार के हस्तक्षेप और निर्देश से बाहर नहीं रहे। ऐसा करके सरकार जनता के प्रति अपनी जवाबदेही से बचना चाहती है।
सोनिया ने कहा, “बीजेपी सरकार ने आरटीआई कानून को नष्ट करने के लिए आखिरी प्रहार किया है। केंद्र से लेकर राज्यों तक के सूचना आयुक्तों पर नए संशोधन का गंभीर असर पड़ेगा।” उन्होंने कहा- संशोधन के जरिए मोदी सरकार को जी-हुजूरी करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार मिलेगा। ऐसे अधिकारी सरकार को खुश करने के लिए उन सवालों को उठाने की इजाजत नहीं देंगे, जिनका जवाब देना सरकार के लिए परेशानी भरा हो सकता है।
नए संशोधन से सूचना आयुक्त सरकार की दया पर निर्भर
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- आरटीआई को कमजोर करने के लिए मोदी सरकार ने उन संशोधनों को मंजूरी दी है, जिनसे सूचना आयुक्त का पद सरकार की दया पर निर्भर हो जाएगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, अधिकांश समय सूचना आयुक्तों के पद खाली ही बने रहे। यहां तक कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी 10 महीने तक खाली ही रहा।
सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 से घटाकर 3 साल किया गया
सोनिया ने कहा- कांग्रेस, मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रहित के विरुद्ध अपने फायदे हेतु लिए जा रहे फैसलों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी। दरअसल, सोनिया गांधी ने यह बात केंद्र सरकार के उस फैसले के बाद कही जिसमें सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पांच से घटाकर तीन साल कर दिया गया है।