मप्र हाई कोर्ट का फैसला:डबरा और इंदरगढ़ नगरीय निकायाें के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर अंतरिम रोक

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TIO BHOPAL

डबरा नगर पालिका और इंदरगढ़ नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के आरक्षण के मामले में मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अहम आदेश दिया है। जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने 10 दिसंबर 2020 के शासन के उस नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें डबरा नगरपालिका और इंदरगढ़ नगर पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था।

दोनों नगरीय निकायाें के अध्यक्ष पद 1994 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। कोर्ट ने सक्षम प्राधिकारी को रोटेशन पद्धति अपनाते हुए नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा, आरक्षण की संकल्पना अस्थायी है, इसे स्थायी नहीं माना जा सकता।

दरअसल, नगर पालिक अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर दो अलग-अलग याचिका दायर की गईं। इंगरगढ़ नगर पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण को राजकुमार यादव और डबरा नगर पालिका अध्यक्ष पद के आरक्षण को एडवोकेट राजकुमार बंसल ने चुनौती दी है। राजकुमार यादव की याचिका में मप्र नगरपालिका (महापौर तथा अध्यक्ष के पद का आरक्षण) नियम, 1999 की संवैधानिक वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी कि इसमें नगर पालिका अध्यक्ष पद के आरक्षण में रोटेशन पद्धति की बात नहीं कही गई है।

एडवोकेट प्रतीप विसोरिया ने बताया कि संविधान का आवश्यक तत्व लोकतंत्र है और लोकतंत्र में सभी को समान रूप से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। जिस प्रकार से आरक्षण किया जा रहा है, उसके चलते एक बहुत बड़ा वर्ग केवल वोट डाल पा रहा है, लेकिन चुनाव नहीं लड़ पा रहा। इससे अनारक्षित वर्ग का राजनैतिक अस्तित्व समाप्त हो रहा है।

एडवोकेट विवेक जैन ने बताया कि डबरा नगर पालिका का अध्यक्ष पद भी 1994 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कोर्ट ने शासन को नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है। इस मामले में कोर्ट ने शासन को जवाब पेश करने के लिए भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।