श्योपुर। ‘मध्यप्रदेश अजब है, गजब है’ इस सरकारी सूत्र वाक्य का असर प्रदेश में होने वाले कई कार्यक्रमों में देखने को मिलता है। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत श्योपुर में हुए सामूहिक विवाह कार्यक्रम में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहां किसी जोड़े को शादी करने से रोक दिया गया तो किसी को बिन फेरे ही शादीशुदा बना दिया गया।
अक्षय तृतीया को हुए इस विवाह सम्मेलन में एक जोड़े को विवाह करने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि लड़की बालिग नहीं थी। खास बात यह है कि जिस लड़की को नाबालिग बताया जा रहा है उसकी उम्र 18 साल से महज दो दिन कम थी। लेकिन, प्रशासन को दो दिन कम उम्र पर आपत्ति थी। शादी रोकने पर विवाह सूत्र में बंधने जा रहे जोड़े के परिजनों ने हंगामा कर दिया जिस पर वहां मौजूद एसडीएम ने पुलिस बुलाने के निर्देश दिये।
बाद में सभी परिजन प्रशासन पर भेदभाव के आरोप लगाते हुए घर चले गए। प्रशासन का कहना है कि करीब 8 दिन पहले ही लड़की के नाबालिग होने के कारण विवाह कराए जाने से साफ इनकार किया गया था। वहीं हंगामे के बाद शादी के लिए आए दूल्हा-दुल्हन लोगों के बीच चर्चा के विषय बन गए।
बिना फेरे के ही एक-दूसरे को बनाया जीवनसाथी
जहां एक ओर एक जोड़े को नाबालिग होने की बात कहकर शादी से रोक दिया तो वहीं दूसरी ओर अव्यवस्थाओं के चलते कई जोड़े फेरे तक नहीं ले पाए। सम्मेलन में 428 जोड़े शामिल होने से कार्यक्रम स्थल छोटा पड़ गया। जिस पर शुरूआत में तो प्रशासन ने एक वेदी पर चार जोड़ों को बैठाकर विवाह कराने की रस्मअदायगी की। लेकिन, प्रशासन इस रस्म अदायगी को भी सही ढंग से नहीं पूरा कर सका और करीब सौ जोडो़ं को वेदी स्थल न मिलने से बिना फेरे लिये ही वैवाहिक जीवन में प्रवेश हो गया।