पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर यह दावा करते हैं कि न वो किसी को बचाते हैं और न ही फंसाते हैं, लेकिन उनके अपने मंत्री मंडल की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने मुजफ़्फरपुर में ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित बाल गृह में निरीक्षण किया, लेकिन उन्होंने कभी भी कुछ गलत नहीं पाया.
Muzaffarpur case: Do not give resignation of social welfare minister
मंजू वर्मा ने ब्रजेश ठाकुर से बराबर मिलने की बात भी मानी थी. उनका ये भी कहना था कि ब्रजेश के घर उनके पति भी उनके साथ गये थे. ये दो ऐसी बाते हैं जिससे साफ है कि मंजू वर्मा ब्रजेश ठाकुर के घर गईं और उन्हें इस बात में कुछ गलत नहीं दिखा कि कोई व्यक्ति अपने घर में जहां अखबारों का दफ़्तर भी है, वहां बाल गृह कैसे चला सकता है?
दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास राजनीति का लंबा अनुभव है. ऐसे में उनसे शायद ही मंजू वर्मा के पति की कारस्तानी छिपी होगी, लेकिन इन सबके बावजूद विपक्ष की लगातार मांग पर मंजू वर्मा का इस्तीफा न देना उनके अपने पार्टी के नेताओं के अनुसार नीतीश कुमार की मजबूरी को दिखाता है.
नीतीश के नजदीकी भी मानते हैं कि एक तरफ वे यह कह रहे हैं कि मुजफ्फरपुर की घटना शर्मनाक है और दूसरी तरफ इस घटना के लिए जिम्मेदार कई लोगों में से एक अपने मंत्री से इस्तीफा न लेना उनकी कार्रवाई की दलील को कमजोर करता हैं. हालांकि मंजू वर्मा खुद जिस जाति से आती हैं उसके नेता भी इस मुद्दे पर आक्रामक हैं. नीतीश कुमार चाहें तो इस समस्या का समाधान मिनटों में निकाल सकते हैं.
हालांकि नीतीश के समर्थक और विरोधी इस बात पर सहमत हैं कि मंजू वर्मा उनके गले की हड्डी बन चुकी हैं और जब तक वो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं तबतक शायद इस मुद्दे पर आलोचना से बच नहीं सकते हैं. फिलहाल इस मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन इसमें सबसे अहम सवाल यही है कि आखिर नीतीश कुमार किस मजबूरी की वजह से मंजू वर्मा की गलतियों पर आंख मूंदे बैठे हैं.