नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहली बार इस बात का खुलासा किया है कि चंद्रयान-2 लूनरक्राफ्ट को जुलाई में लॉन्च किया जाएगा। यह नासा के एक पैसिव एक्सपेरिमेंटल इंस्ट्रूमेंट को चांद पर ले जाएगा। अमेरिकी एजेंसी इस मॉड्यूल के जरिए धरती और चांद की दूरी को नापने का कार्य करेगी। विदेशी प्रायोगिक मॉड्यूल के अलावा चंद्रयान-2 जिसमें आॅर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्राज्ञन है, वह 13 भारतीय पेलोड को लेकर जाएगा जो विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे और चांद की तस्वीरें लेंगे।
नासा के मॉड्यूल के बारे में इसरो के अध्यक्ष के सिवान ने जानकारी दी के सिवान ने कहा, ‘नासा का लेजर रिफ्लेक्टर अरेज एक प्रायोगिक माड्यूल चंद्रयान-2 के साथ जाएगा। अमेरिकी वैज्ञानिक धरती और चांद के बीच की दूरी को मापने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। इस यंत्र को लैंडर से अटैच किया जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर लैंडर के स्थान का सटीक उल्लेख करने में सक्षम होगा।’
उन्होंने आगे बताया, ‘नासा ने यह अनुरोध पिछले साल जुलाई में किया था और हमने पिछले साल सितंबर में इसे स्वीकार किया था।’ टेक्सस में मार्च में हुई लूनर एंड प्लानेटरी साइंस कांफ्रेस के दौरान नासा ने इस बात की पुष्टि की थी कि चंद्रयान-2 और इजरायली लैंडर बेरेशीट जो इस वर्ष 11 अप्रैल को चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था वह नासा के लेजर रेस्ट्रोरिफ्लेक्टर अरेज लेकर जाएंगे।
हालांकि इसरो ने अभी तक नासा के यंत्र के बारे में नहीं बताया था। चंद्रयान-2 क्राफ्ट का वजन 3.8 टन है और इसे नौ से 16 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह छह सितंबर को चांद की सतह पर लैंड करेगा। पिछली बार साल 2008 में चंद्रयान मिशन-1 को अंजाम दिया गया था। जो अपने साथ पांच विदेशी पेलोड लेकर गया था।